शब्द का अर्थ
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					साल					 :
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					पुं० [पहलवी सालक से फा०, मि० सं० शारद] १. किसी सन् या संवत् के आरंभिक महीने तक का पूरा समय। वर्ष। बरस। जैसा—इस साल अच्छी वर्षा (या फसल) होने की आशा है। २. किसी दिन या महीने से आरंभ करते हुए बारह महीनों का समय। जैसा—यह इमारत साल भर में बनकर तैयार होगी। स्त्री० [हिं० सालना] १. ‘सालने’ की क्रिया का भाव २. सालने, खटकने या चुभने वाली कोई चीज। जैसे काँटा या सुई। उदा०—कछु सालतें लोभ विशाल से हैं।...।—केशव। ३. मन में होने वाला कष्ट। वेदना। पीड़ा। कसक। ४. क्षत। घाव। ५. लकड़ियाँ जोड़ने के लिये उनमें किया जाने वाला चौकोर छेद। ६. छेद। सुराख। पुं० [सं०] १. पेड़। वृक्ष। २. जड़। मूल। ३. धूना। राल। ४. चहारदीवारी। परकोटा। ५. एक प्रकार की मछली। ६. गीदड़। सियार। ७. किला। गढ़। (डिं०) पुं० [?] १. कूचबंदों की परिभाषा में, खस की जड़ जिससे वे कूच बनाते हैं। २. एक प्रकार की जंगली जंतु जिसके मुँह में दाँत नहीं होते और जो च्यूँटियाँ, दीमक आदि खाता है। पुं०=शाल (वृक्ष)। २. =शालि। ३. =शल्य।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=शाला। जैसे—धर्मशाला।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					साल भंजिका					 :
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					स्त्री०=शाल भंजिका।				 | 
			
			
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					साल-गिरह					 :
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					स्त्री० [फा०] वर्ष-गाँठ। जन्म-दिन।				 | 
			
			
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					साल-द्रुम					 :
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					पुं० [सं० मध्यम० स० ब० स० वा] सागौन का पेड़। साखू।				 | 
			
			
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					साल-निर्यास					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] धूना। राल।				 | 
			
			
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					साल-साँभर					 :
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					पुं० दे० ‘बारहसिगा’।				 | 
			
			
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					सालंक					 :
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					पुं० [सं०] संगीत में, राग के तीन प्रकारों से एक। ऐसा राग जो बिलकुल शुद्ध और स्वतंत्र होने पर भी किसी दूसरे राग की छाया से युक्त जान पड़ता हो।				 | 
			
			
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					सालक					 :
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					वि० [हिं० सालना+क (प्रत्य०) ] सालने या दुख देनेवाला।				 | 
			
			
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					सालंकार					 :
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					वि० [सं० तृ० त०] अलंकारों से सजा हुआ। अलंकृत।				 | 
			
			
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					सालंग					 :
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					पुं० [सं० सलंग+अण्]=सालंक (राग)।				 | 
			
			
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					सालग					 :
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					पुं० [सं०]=सालंक।				 | 
			
			
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					सालगा					 :
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					पुं० दे० ‘सलई’।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सालग्राम					 :
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					पुं०=शालग्राम।				 | 
			
			
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					सालग्रामी					 :
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					स्त्री० [सं० शालग्राम] गंडक नदी।				 | 
			
			
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					सालज					 :
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					पुं० [सं० साल√जन् (उत्पन्न करना)+ड] सर्जरस। धूना। राल।				 | 
			
			
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					सालन					 :
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					पुं० [सं० सलवण] मांस-मछली या साग-सब्जी की मसाले दार तरकारी। पुं० [सं० साल] धूना। राल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सालना					 :
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					अं० [सं० शूल] १. किसी कँटीली चीज का शरीर के किसी अंग में गड़कर या चुभकर पीड़ा उत्पन्न करना। २. लाक्षणिक रूप में, किसी कष्टदायक बात का मन में इस प्रकार घर करना कि वह रह-रहकर विशेष कष्ट देती रहे। ३. गड़ना। चुभना। संयो० क्रि०—जाना। सं० १. कोई नुकीली चीज किसी दूसरी चीज के अंदर गाड़ना या धँसाना। २. चुभाना। ३. किसी को दुख देना।				 | 
			
			
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					सालपर्णी					 :
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					स्त्री० [सं० ब० स० ङीप्] शालपर्णी। सरिवन।				 | 
			
			
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					सालपान					 :
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					पुं० [सं० शालिपर्णी ?] एक प्रकार का क्षुप जो वर्षा ऋतु के अंत में फूलता है। इसकी जड़ का व्यवहार ओषधि के रूप में होता है। कसरवा। चाँचर।				 | 
			
			
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					सालंब					 :
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					वि० [सं० तृ० त०] अवलंब या सहारे से युक्त। (समास से)				 | 
			
			
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					सालब मिसरी					 :
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					स्त्री० दे० ‘सालम मिसरी’।				 | 
			
			
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					सालम मिसरी					 :
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					स्त्री० [अ० सअलब+मिस्त्री=मिस्त्र देश का] एक प्रकार के पौधे का कन्द जो पौष्टिक होने के कारण ओषधियों में प्रयुक्त होता है। वीरकंद। सुधामूली।				 | 
			
			
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					सालर					 :
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					पुं०=सलई।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सालरस					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] धूना। राल।				 | 
			
			
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					सालस					 :
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					पुं० [अ० सालस०=तीसरा] १. वह तीसरा व्यक्ति जो दो व्यक्तियों के झगड़े का निपटारा करता हो। तिसरैत। २. पंच।				 | 
			
			
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					सालसा					 :
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					पुं० [अ०] रक्त शोधक ओषधियों के योग से बना हुआ पाश्चात्य ढ़ंग का एक प्रकार का काढ़ा।				 | 
			
			
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					सालसी					 :
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					स्त्री० [अ०] १. सालस होने की अवस्था या भाव। २. दूसरों का झगड़ा निपटाने के लिये तीसरे व्यक्ति या कुछ व्यक्तियों की बनी हुई पंचायत।				 | 
			
			
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					सालहज					 :
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					स्त्री०=सलहज।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					साला					 :
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					पुं० [सं० श्यालक] [स्त्री० साली] १. संबंध के विचार से किसी व्यक्ति की द्रष्टि में उसकी पत्नी का भाई। २. लोक व्यवहार में उक्त प्रकार का संबंध सूचित करने वाली एक गाली। पुं० [सं०] सारिका। मैना। पक्षी। स्त्री०=शाला। वि० [हिं० साल०=वर्ष] नियत साल या वर्ष पर होने वाला या उससे संबंध रखने वाला। जैसा—दो-साला। पेड़=दो साल का लगा हुआ पेड़। तिन-साला बंदोबस्त०=तीन साल के लिये होने वाला बंदोबस्त।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					सालाना					 :
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					वि० [फा० सालान] हर साल होने वाला। वार्षिक।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					सालार					 :
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					पुं० [फा०] नायक। नेता। जैसे—सिपह-सालार=सिपाहियों (फौजियों) का नेता।				 | 
			
			
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					सालारजंग					 :
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					पुं० [फा०] १. योद्धा। २. प्रधान सेनापति। ३. साला (पत्नी का भाई) के लिये उपहासात्मक शब्द।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					सालि					 :
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					पुं०=शालि।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					सालिक					 :
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					वि० [अ०] १. पथिक। यात्री। २. मुसलमानों में वह साधक जो गृहस्थाश्रम में रहकर भी ईश्वराधना में रत रहता हो।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					सालिका					 :
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					स्त्री० [सं०] बाँसुरी।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					सालिग्राम					 :
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					पुं०=शालग्राम।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					सालिनी					 :
				 | 
				
					स्त्री०=शालिनी (गृहणी)।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					सालिब मिश्री					 :
				 | 
				
					स्त्री०=सालम मिस्त्री।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					सालिम					 :
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					वि० [अ०] जो कहीं से खंडित न हो। पूर्ण। संपूर्ण। समूचा। जैसे—सालिम तरबूज।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					सालियाना					 :
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					वि=सालाना (वार्षिक)।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					सालिसी					 :
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					स्त्री० [अ०] दे० ‘सालसी’।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					सालिहोत्री					 :
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					पुं०=शालिहोत्री।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					साली					 :
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					स्त्री० [हिं० साला] १. संबंध के विचार से पत्नी की बहन। २. हठ योंगियों की परिभाषा में माया, वासना आदि। स्त्री० [फा० साल] १. साल या वर्ष का भाव] (यौ० के अन्त में ) जैसे कहत साली, खुश्कसाली। २. हर साल या प्रतिवर्ष के हिसाब से दिया जाने वाला पारिश्रमिक, पुरस्कार या वेतन।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					सालुर					 :
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					पुं०=शालूर (मेंढक)।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					सालू					 :
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					पुं० [हिं० सालाना] १. वह जिसके मन को दूसरों का उत्कर्ष सालता हो। ईर्ष्यालु। २. सालने वाली बात। पुं० [?] एक प्रकार का लाल कपड़ा जिसे मांगलिक अवसरों पर स्त्रियाँ ओढ़ती हैं। (पश्चिम)।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					सालेया					 :
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					स्त्रि० [सं० सालेय]+टाप्] सौंफ।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					सालोक्य					 :
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					पुं० [सं० सलोक, ब० स० ष्यञ] पाँच प्रकार की मुक्तियों में से एक प्रकार की मुक्ति, जिसके फलस्वरूप साधक अपने ईष्टदेव के लोक में जाकर उसमें लीन हो जाता है।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					सालोहित					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] १. ऐसा व्यक्ति जिसके साथ रक्त संबंध हो। नातेदार। २. कुल या वंश का व्यक्ति।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					साल्मली					 :
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					पुं०=शाल्मली (सेमल का पेड़)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					साल्व					 :
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					पुं० [सं०] १. एक प्राचीन जाति जो किसी समय मध्य (या उत्तरी ?) पंजाब में रहती थी। २. पंजाब का मध्य प्रदेश जिसमें उक्त जाति रहती थी। ३. उक्त प्रदेश का निवासी। ४. एक दैत्य जिसका वध विष्णु ने किया था।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					साल्वेय					 :
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					वि० [सं० साल्व+ढ़क्—एय] साल्व देश संबंधी। साल्व का।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |