शब्द का अर्थ
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					समी					 :
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					वि०=सम (समान) उदाहरण—लिखमी समी रुक्मणी लाड़ी।—प्रिथीराज।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					समीक					 :
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					पुं० [सं० सम+ईकक्] युद्ध। समर। लड़ाई।				 | 
			
			
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					समीकरण					 :
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					पुं० [सं०] [भू० कृ० समीकृत] १. दो या अधिक राशियों, वस्तुओं आदि को समान या बराबर करने की क्रिया या भाव। २. गणित में वह क्रिया जिससे किसी ज्ञात राशि की सहायता से कोई अज्ञात राशि जानी जाती है। ३. यह सिद्ध कर दिखलाना कि अमुक-अमुक राशियाँ या मान आपस में बराबर है। (ईक्वेशन)।				 | 
			
			
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					समीकार					 :
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					वि० [सं० सम-च्वि√ कृ (करना)+घञ्] जो छोटी-बड़ी, ऊँची-नीची या अच्छीबुरी चीजों को समान करता हो। बराबर करनेवाला।				 | 
			
			
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					समीकृत					 :
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					भू० कृ० [सं० सम-च्वि√कृ (करना)+क्त] १. जिसका समीकरण किया गया हो। २. समान किया हुआ। बराबर किया हुआ।				 | 
			
			
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					समीकृति					 :
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					स्त्री० [सं० सम+च्वि√कृ (करना)+क्तिन्]=समीकरण।				 | 
			
			
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					समीक्रिया					 :
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					स्त्री०=समीकरण।				 | 
			
			
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					समीक्ष					 :
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					पुं० [सं० सम√ईक्ष् (देखना)+घञ्] की समीकरण। २. समीक्षा।				 | 
			
			
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					समीक्षक					 :
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					वि० [सं० समीक्ष+कन्] सम्यक् रूप से देखने या समीक्षा करनेवाला। समा-लोचक।				 | 
			
			
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					समीक्षण					 :
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					पुं० [सं० सम√ईश् (देखना)+ल्युट-अन] [भू० कृ० समीक्षित] १. दर्शन। देखना। २. अनुसन्धान। जाँच-पड़ताल। ३. दे० ‘समीक्षा’।				 | 
			
			
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					समीक्षा					 :
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					स्त्री० [सं० सम√ईक्ष् (देखना)+अ-टाप्] १. अच्छी तरह देखने की क्रिया। २. छान-बीन या जाँच-पड़ताल करने के लिए अच्छी तरह और ध्यानपूर्वक देखना। परीक्षण। (एक्ज़ैमिनिग) ३. ग्रन्थों, लेखों आदि के गुण-दोषों का विवेचन। समालोचन (रिव्यू)। ४. मीमांसा दर्शन। ५. सांख्य दर्शन में पुरुष प्रकृति, बुद्धि, अहंकार आदि तत्त्व। ६. बुद्धि। समझ। ७. कोशिश। प्रयत्न।				 | 
			
			
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					समीक्षित					 :
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					भू० कृ० [सं० सम√ईक्ष् (देखना)+क्त] जिसकी समीक्षा की गई हो। जो भली-भाँति देखा गया हो।				 | 
			
			
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					समीक्ष्य					 :
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					वि० [सं०] जिसकी समीक्षा हो सकती हो या होने को हो।				 | 
			
			
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					समीच					 :
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					पुं० [सं० सम√इण् (गत्यादि)+चट्-दीर्घ] समुद्र। सागर।				 | 
			
			
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					समीचीन					 :
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					वि० [सं० समीच+ख-ईन] [भाव० समीचीनता] १. यथार्थ। ठीक। २. उचित। वाजिब। ३. न्याय संगत।				 | 
			
			
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					समीति					 :
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					स्त्री०=समिति।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					समीप					 :
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					वि० [सं०] निकट। पास। ‘दूर’ का विपर्याय।				 | 
			
			
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					समीप					 :
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					वि० [सं० सम+छ-ईय] सम संबंधी। सम का।				 | 
			
			
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					समीपता					 :
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					स्त्री० [सं० समीप+तल्-टाप्] समीप होने की अवस्था या भाव। निकटता।				 | 
			
			
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					समीपवर्ती (र्तिन्)					 :
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					वि० [सं०] जो किसी के समीप या पास में स्थित हो। जैसा—भारत के समीपवर्ती टापुओं में सिंहल प्रधान है।				 | 
			
			
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					समीपस्थ					 :
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					वि० [सं०] जो समीप में स्थित हो। पास का। समीपवर्ती।				 | 
			
			
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					समीभाव					 :
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					पुं० [सं० सम+च्वि√भू (होना)+घञ्] १. सामान्य अवस्था। साधारण स्थिति। २. आचरण और जीवन संबंधी सब बातों में रखा जानेवाला समता का भाव।				 | 
			
			
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					समीर					 :
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					पुं० [सं० सम√ईर् (गमनादि)+क] १. वायु। हवा। २. आधुनिक वायुविज्ञान के अनुसार भली जान पड़नेवाली वह हलकी हवा जिसकी गति प्रति घंटे १३ से १८ मील तक की हो। (मॉडरेट ब्रीज) ३. प्राण-वायु। ४. शमी वृक्ष।				 | 
			
			
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					समीरण					 :
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					पुं० [सं०] [भू० कृ० समीरित] १. चलना। २. वायु। हवा। ३. पथिक। बटोही। ४. प्रेरणा। ५. मरुआ नामका पौधा। वि० १. चलता हुआ या चलनेवाला। गतिशील। ३. उद्दीपक।				 | 
			
			
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					समीरित					 :
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					भू० कृ० [सं० सम√ईर् (प्रेरित करना)+क्त] १. चलाया हुआ। २. भेजा हुआ। ३. प्रेरित। ४. उच्चरित (शब्द)।				 | 
			
			
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					समीहा					 :
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					स्त्री० [सं० सम√ईह् (चेष्टा करना)+अच्-टाप्] [भू० कृ० समीहित] १. उद्योग। प्रयत्न। २. इच्छा। कामना। ३. अन्वेषण। तलाश। ४. जाँच-पड़ताल।				 | 
			
			
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					समीहित					 :
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					भू० कृ० [सं०] चाहा हुआ। इच्छित।				 | 
			
			
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