शब्द का अर्थ
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					व्याकरण					 :
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					पुं० [सं० वि+आ√कृ (करना)+ल्युट—अन] १. वह शास्त्र जिसमें बोलचाल तथा साहित्य में प्रयुक्त होनेवाली भाषा। स्वरूप, उसके गठन उसके अवयवों उनके प्रकारों और पारस्परिक संबंधों तथा उसके रचना विधान और रूप परिवर्तन का विचार होता है। २. बोल-चाल में ऐसी पुस्तकें जिसमें भाषा संबंधी नियमों का संकलन होता है। ३. अनन्तर। भेद। ४. व्याख्या। ५. निर्माण। रचना। ६. धनुष की टंकार। ७. भविष्यवाणी। (बौद्ध)				 | 
			 
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			 
			
				 
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