शब्द का अर्थ
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					रुक्म					 :
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					पुं० [सं०√रुच् (शोभित होना)+मक्, कुत्व] १. स्वर्ण। सोना। २. धतूरा। ३. लोहा। ४. नाग-केसर। ५. रुक्मिणी के एक भाई का नाम।				 | 
			
			
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					रुक्म-कारक					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] सोने के गहने बनानेवाला अर्थात् सुनार।				 | 
			
			
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					रुक्म-वाहन					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] द्रोणाचार्य।				 | 
			
			
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					रुक्मपाश					 :
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					पुं० [सं० मध्य० स०] सूत का बना हुआ वह फंदा या लड़ जिसमें गहनों की गुरियाँ मनके आदि पिरोये रहते हैं।				 | 
			
			
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					रुक्मपुर					 :
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					पुं० [सं०] पुराणानुसार एक नगर जहाँ गरुड़ का निवास है।				 | 
			
			
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					रुक्मरथ					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] १. शल्य का एक पुत्र। २. भीष्मक का एक पुत्र। ३. द्रोणाचार्य का एक नाम।				 | 
			
			
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					रुक्मवती					 :
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					स्त्री० [सं० रुक्म+मतुप्, +ङीष्] १. एक प्रकार का वृत्त जिसके प्रत्येक चरण में ‘भ म स ग (ऽ।।ऽऽऽ।।ऽऽ) होते हैं। इसे ‘रम्यवती’ तथा ‘चम्पकमाला’ भी कहते हैं।				 | 
			
			
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					रुक्मसेन					 :
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					पुं० [सं०] रुक्मिणी का छोटा भाई।				 | 
			
			
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					रुक्मि					 :
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					पुं० [सं०] रम्यक और हिरण्यवर्ष के बीच स्थित पाँचवा वर्ष (जैन)।				 | 
			
			
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					रुक्मि-दर्प					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] बलदेव।				 | 
			
			
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					रुक्मिण					 :
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					स्त्री०=रुक्मिणी।				 | 
			
			
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					रुक्मिणी					 :
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					स्त्री० [सं० रुक्म+इनि+ङीष्] श्रीकृष्ण की पटरानियों में से बड़ी और पहली रानी जो विदर्भ राजा भीष्मक की कन्या थी।				 | 
			
			
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					रुक्मिदारी (रिन्)					 :
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					पुं० [सं० रुक्मिन्√दृ (विदारण)+णिनि] बलदेव।				 | 
			
			
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					रुक्मी (क्मिन्)					 :
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					पुं० [सं० रुक्म+इनि] रुक्मिणी के बड़े भाई का नाम।				 | 
			
			
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