शब्द का अर्थ
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					रजनी					 :
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					स्त्री० [सं०√रञ्ज्+कनि+ङीष्] १. रात। रात्रि। निशा। २. हलदी। ३. जंतुका लता। ४. नीली नामक पौधा। ५. दारुहलदी। ६. लाक्षा। लाख। ७. एक नदी। (पुराण)				 | 
			
			
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					रजनी-गंधा					 :
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					स्त्री० [ब० स० टाप्] १. एक प्रसिद्ध पौधा जिसके फूल रात के समय फूलते हैं। २. उक्त पौधे का फूल।				 | 
			
			
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					रजनी-जल					 :
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					पुं० [सुप्सुपा० स०] १. ओस। २. कोहरा।				 | 
			
			
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					रजनी-पति					 :
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					पुं० [ष० त०] चन्द्रमा।				 | 
			
			
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					रजनीकर					 :
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					पुं० [सं० रंजनी√कृ (करना)+ट] चंद्रमा।				 | 
			
			
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					रजनीकर					 :
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					पुं० [सं० रजनी√चर् (गति)+ट] १. राक्षस। २. चंद्रमा। वि० रात के समय निकल कर घूमने-फिरने या विचरण करने वाला।				 | 
			
			
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					रजनीमुख					 :
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					पुं० [ष० त०] संध्या। रात होने से कुछ पहले का समय। सूर्यास्त के चार दंड बाद का समय। शाम।				 | 
			
			
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					रजनीश					 :
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					पुं० [रजनी-ईश, ष० त०] चन्द्रमा।				 | 
			
			
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