शब्द का अर्थ
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					रकाब					 :
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					स्त्री० [फा० रकाब] १. घोडे़ की काठी का झूलता हुआ पावदान जिस पर पैर रखकर घोड़े पर सवार होते हैं, और बैठने में जिससे सहारा लेते हैं। मुहावरा—रकाब पर पैर रखना=कहीं जाने या चलने के लिए बिल्कुल तैयार होना। २. दे० ‘रकाबी’।				 | 
			
			
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					रकाबत					 :
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					स्त्री० [अ०] १. रकीब होने की अवस्था, धर्म या भाव। २. किसी प्रेमिका के सम्बन्ध में उसके प्रेमियों में होनेवाली प्रतिद्वंद्विता।				 | 
			
			
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					रकाबदार					 :
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					पुं० [फा०] १. मुरब्बा, मिठाई आदि बनानेवाला कारीगर या हलवाई। २. रकाबियों में खाना चुनने और परोसनेवाला। खानसामा। ३. नवाबों, बादशाहों आदि के साथ उनका भोज लेकर चलनेवाला सेवक। खासाबरदार। ४. रकाब पकड़कर घोड़े पर सवार करनेवाला नौकर। साईस।				 | 
			
			
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					रकाबा					 :
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					पुं० [फा० रकाबः] १. बड़ी रकाबी। २. परात।				 | 
			
			
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					रकाबी					 :
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					स्त्री० [फा०] छिछली गोल छोटी थाली। वि० १. रकाब सम्बन्धी। २. रकाबी की तरह का। जैसे—रकाबी चेहरा।				 | 
			
			
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					रकाबी-चेहरा					 :
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					पुं० [फा० हिं] गोल या चौड़ा मुँह।				 | 
			
			
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					रकाबी-मजहब					 :
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					वि० [फा० +अ] खुशामदी। चाटुकार।				 | 
			
			
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