शब्द का अर्थ
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					यष्टि					 :
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					स्त्री० [सं० यज्+ति] १. किसी प्रकार की छड़ी, डंडा या लाठी। २. पताका का डंडा। ध्वज। ३. पेड़ की टहनी। डाल। शाखा। ४. मुलेठी। ५. ताँत। ६. बेल। लता। ७. बाँह। भुजा। ८. गले में पहनने का एक प्रकार का मोतियों का हार।				 | 
			
			
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					यष्टि-मधु					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] जेठी मधु। मुलेठी।				 | 
			
			
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					यष्टि-यंत्र					 :
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					पुं० [सं०] जमीन में गाड़ी हुई वह खूँटी या छड़ी जिसकी छाया से समय का अनुमान किया जाता है।				 | 
			
			
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					यष्टिक					 :
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					पुं० [सं० यष्टि+कन्] १. तीतर पक्षी। २. छड़ी, डंडा या लाठी। २. मंजीठ।				 | 
			
			
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					यष्टिका					 :
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					स्त्री० [सं० यष्टिक+टाप्] १. हाथ में रखने की बड़ी या छोटी लाठी। २. मुलेठी। ३. बावली। बापी ४. एक प्रकार की मोतियों की माला।				 | 
			
			
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					यष्टिका-भरण					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] सुश्रुत के अनुसार जल को ठंडा करने का उपाय।				 | 
			
			
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