शब्द का अर्थ
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					मटर					 :
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					पुं० [सं० मधुर या वर्तुल] १. एक प्रसिद्ध पौधा जिसकी फलियों में गोल दाने रहते हैं और जिनकी तरकारी आदि बनाई जाती है। २. उक्त पौधे की फली या दाना। (पी)				 | 
			
			
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					मटर-गश्त					 :
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					स्त्री०, [हिं० मट्ठर=मंद+फा० गश्त] १. धीरे-धीरे घूमना। २. निश्चिन्त होकर प्रसन्नतापूर्वक व्यर्थ इधर-उधर घूमना।				 | 
			
			
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					मटर-बोर					 :
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					पुं० [हिं० मटर+बोर=घुँघरू] मटर के बराबर घुँघरू जो पाजेब आदि में लगते हैं।				 | 
			
			
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					मटरगश्ती					 :
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					स्त्री०=मटरगश्त।				 | 
			
			
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					मटराला					 :
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					पुं० [हिं० मटर+आला (प्रत्य०)] एक में मिले हुए मटर और जौ के दाने अथवा उनका पीसा हुआ चूर्ण। वि०=मिटमैला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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