शब्द का अर्थ
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					मंद					 :
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					वि० [सं०√मंद् (सुस्त पड़ना)+अच्] १. जिसकी गति, चाल, प्रवाह, वेग अपेक्षाकृत अपने वर्गवालों से कम या घटकर हो। धीमा। २. जिसमें अधिक उग्रता या तीव्रता न हो। जैसे—मंद ज्वर। ३. जो जल्दी या सहसा नहीं; बल्कि धीरे-धीरे अपना प्रभाव दिखाता हो। जैसे—मंद विष। ४. जिसमें जल्दी-जल्दी तथा अच्छी तरह काम करने की शक्ति या सामर्थ्य न हो। जैसे—मंद-बुद्धि। ५. बेवकूफ। मूर्ख। ६. खल। दुष्ट। पुं० १. वह हाथी जिसकी छाती और मध्य-भाग की बलि ढीली हो, पेट लंबा, चमड़ा मोटा, गला, कोख और पूछ की चैवरी मोटी हो। २. शनि नामक ग्रह। ३. यम। ४. अभाग्य या दुर्भाग्य। ५. प्रलय। पुं०=मद्य (शराब)। प्रत्य० [सं० भान् या मन् से फा०] किसी गुण या वस्तु से प्राप्त अथवा संपन्न। वाला। जैसे—दौलतमंद, गरजमंद, जरूरतमंद।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					मंद-गति					 :
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					स्त्री० [सं० कर्म० स०] ग्रहों की गति की वह अवस्था जब वे अपनी कक्षा में घूमते हुए सूर्य से दूर निकल जाते हैं। वि० [ब० स०] धीमे चलनेवाला।				 | 
			
			
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					मंद-ज्वर					 :
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					पुं० [सं० कर्म० स०] प्रायः आता रहनेवाला ऐसा ज्वर जिसमें शरीर का तापमान बहुत अधिक न बढ़े। धीमा या हल्का ज्वर। (स्लो फ़ीवर)				 | 
			
			
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					मंद-धूप					 :
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					पुं० [सं० कर्म० स०] काला धूप। काला डामर।				 | 
			
			
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					मंद-फल					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] गणित ज्योतिष में ग्रहों की गति का एक प्रकार का भेद।				 | 
			
			
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					मंदऊ					 :
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					पुं० [देश०] घोड़े की गले की हड्डी सूजने का एक रोग।				 | 
			
			
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					मंदक					 :
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					वि० [सं० मंद+कन्] मूर्ख। ना-समझ।				 | 
			
			
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					मंदग					 :
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					वि० [सं० मंद√गम् (जाना)+ड] [स्त्री० मंदगा] मंद गतिवाला। धीमी चालवाला। पुं० महाभारत के अनुसार शाकद्वीप के अन्तर्गत चार जन-पदों में से एक।				 | 
			
			
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					मंदट					 :
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					पुं० [सं० मन्द√अट्+अच्] देवदारु।				 | 
			
			
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					मंदता					 :
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					स्त्री० [सं० मंद+तल्+टाप्] १. मंद होने की अवस्था, कर्म या भाव। धीमापन। २. आलस्य। सुस्ती। ३. क्षीणता।				 | 
			
			
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					मंदती					 :
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					स्त्री० [सं०] विकृत धैवत की चार श्रुतियों में से दूसरी श्रुति।				 | 
			
			
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					मंदना					 :
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					अ० [सं० मन्द] १. मंद होना। धीमा पड़ना। २. सुस्त होना। ३. फीका या हलका पड़ना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					मंदभागी					 :
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					वि० [सं० मंदभाग्य] अभागा। बदकिस्मत।				 | 
			
			
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					मंदर					 :
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					पुं० [सं०√मंद+अर्] १. पुराणानुसार एक पर्वत जिससे समुद्र मथा गया था। मन्दराचल। २. मंदार नामक वृक्ष। ३. स्वर्ग। ४. दर्पण। शीशा। ५. पुराणानुसार कुश द्वीप का एक पर्वत। ६. पुराणानुसार प्रासाद के बीस भेदों में से दूसरा भेद या प्रकार। ७. एक वर्णवृत का नाम जिसमें प्रत्येक चरण में एक भगण (ऽऽ।।) होता है। ८. मोतियों का वह हार जिसमें आठ या सोलह लड़ियाँ हों। वि०=मंद।				 | 
			
			
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					मंदर-गिरि					 :
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					पुं० [सं० मध्य० स०] १. मंदराचल पर्वत। २. मुंगेर के पास का एक पहाड़ जहाँ सीता-कुंड नाम का गरम पानी का कुंड और जैनों बौद्धों तथा हिन्दुओं के मंदिर हैं।				 | 
			
			
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					मँदरा					 :
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					वि० [सं० मंदर मि० पं० मँदरा=नाटा] [स्त्री० मँदरी] छोटे आकार का। नाटा। पुं० [सं० मंडल] एक प्रकार का बाजा जिसे मंडिल भी कहते हैं।				 | 
			
			
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					मँदरी					 :
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					स्त्री० [देश०] खाजे की जाति का एक पेड़।				 | 
			
			
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					मंदला					 :
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					पुं०=मंदिल (बाजा)।				 | 
			
			
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					मंदसान					 :
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					पुं० [सं०√मंद् (प्राप्त होना)+सानच्)] १. अग्नि। २. प्राण। ३. निद्रा। नींद।				 | 
			
			
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					मंदा					 :
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					स्त्री० [सं० मन्द+टाप्] १. सूर्य की वह संक्रांति जो उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तरा भाद्रपद और रोहिणी नक्षत्र में पड़े। २. बल्ली करंज। वि० [सं० मंद] [स्त्री० भाव० मंदी] १. मंद। धीमा। २. ढीला। शिथिल। ३. (शारीरिक अवस्था) जो ठीक न हो। ४. बिगड़ा हुआ। विकृत। ५. (बाजार या व्यापार) जिसमें तेजी न हो। जिसमें लेन-देन या क्रय-विक्रय बहुत कम हो रहा हो।				 | 
			
			
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					मंदाकिनी					 :
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					स्त्री० [सं०√मंद्+आक, मंदाक+इनि वा मंद√अक् (गति)+णिनि+ङीष्] १. पुराणानुसार गंगा की वह धारा जो स्वर्ग में है। २. आकाश-गंगा। ३. सात प्रकार की संक्रांतियों में से एक। ४. चित्रकूट के पास बहनेवाली एक नदी। (महाभारत) ५. एक वर्ण वृत्त जिसके प्रत्येक चरण में क्रमशः दो-दो नगण और दो-दो रगण होते हैं।				 | 
			
			
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					मंदाक्रांता					 :
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					स्त्री० [सं० मंद-आक्रान्ता, कर्म० स०] सत्रह अक्षरों का एक वर्ण वृत्त जिसके प्रत्येक चरण में क्रमशः मगण, भगण, नगण और तगण और अंत में दो गुरु होते हैं।				 | 
			
			
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					मंदाक्ष					 :
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					विय [सं० मंद-अक्षि,+षच्] संकुचित आँखोंवाला। पुं० लज्जा। शरम।				 | 
			
			
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					मंदाग्नि					 :
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					स्त्री० [सं० मंद-अग्नि, कर्म० स०] एक प्रकार का रोग जिसमें रोगी की पाचन शक्ति मंद पड़ जाती है, भूख कम लगती है और खाई हुई चीज जल्दी हजम नहीं होती।				 | 
			
			
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					मंदात्मा (त्मन्)					 :
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					वि० [सं० मंद-आत्मन्, ब० स०] १. मूर्ख। २. नीच।				 | 
			
			
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					मंदान					 :
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					पुं० [?] जहाज का अगला भाग। (लश०)				 | 
			
			
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					मंदानल					 :
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					पुं० [सं० मंद-अनल, कर्म० स०] मंदाग्नि (रोग)।				 | 
			
			
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					मंदाना					 :
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					अ० [हिं० मंद] मंद पड़ना या होना। स० मन्द या धीमा करना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					मंदानिल					 :
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					पुं० [सं० मंद-अनिल, कर्म० स०] धीमे चलनेवाली हलकी और सुखद वायु।				 | 
			
			
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					मंदार					 :
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					पुं० [सं०√मंद्+आरन्] १. स्वर्ग के पाँच वृक्षों में से एक देव वृक्ष। २. आक। मदार। ३. स्वर्ग। ४. हाथ। ५. धतूरा। ६. हाथी। ७. बिन्ध्य पर्वत के पास का एक तीर्थ। ८. हिरण्य-कश्यप का एक पुत्र।				 | 
			
			
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					मंदार-माला					 :
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					स्त्री० [सं० ष० त०] बाइस अक्षरों का एक वर्ण-वृत्त जिसके प्रत्येक चरण में सात तगण और अंत में एक गुरु होता है।				 | 
			
			
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					मंदारक					 :
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					पुं० [सं० मंदार+कन्]=मंदार।				 | 
			
			
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					मंदालसा					 :
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					स्त्री०=मदालसा।				 | 
			
			
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					मंदिमा (मन्)					 :
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					स्त्री० [सं० मंद+इमनिच्,] १. मंदता। धीमापन। २. शिथिलता। सुस्ती। ३. अल्पता। कमी।				 | 
			
			
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					मंदिर					 :
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					पुं० [सं०√मंद्+किरच्] १. रहने का घर। मकान। २. वह घर या मकान जिसमें पूजन आदि के लिए कोई मूर्ति स्थापित हो। देवालय। ३. किसी विशिष्ट शुभ कार्य के लिए बना हुआ भवन या मकान। जैसे—विद्या-मंदिर। ४. नगर। शहर। ५. छावनी। ६. समुद्र। ७. घोड़े की जाघ का पिछला भाग।				 | 
			
			
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					मंदिर-पशु					 :
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					पुं० [सं० मध्य० स०] बिल्ली।				 | 
			
			
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					मंदिरा					 :
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					स्त्री० [सं० मन्दिर+टाप्] १. घुड़साल। अश्वशाला। २. मँजारी नाम का बाजा।				 | 
			
			
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					मंदिल					 :
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					पुं० [सं० मंदिर] १. घर। मकान। २. देव-मंदिर। देवालय। ३. वह धन जो व्यापारी लोग किसी चीज का दाम चुकाने के समय किसी बड़े मन्दिर में भेजने के लिए काट लेते हैं। क्रि० प्र०—काटना। पुं०=मंदल (बाजा)।				 | 
			
			
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					मंदी					 :
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					स्त्री० [हिं० मंद] १. मंद होने की अवस्था या भाव। २. बाजार की वह स्थिति जिसमें चीजों की दर या भाव उतर रहा हो। ३. बाजार की वह स्थिति जिसमें चीजें कम बिकती हों या रोजगार कम चलता हो। ‘तेजी’ का विपर्याय। ४. अर्थ-शास्त्र में, बाजार की वह स्थिति जिसमें लोगों की क्रयशक्ति कम होने के कारण चीजों की बिक्री घटने लगती है।				 | 
			
			
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					मंदील					 :
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					पुं० [हिं० मुंड] एक प्रकार का सिरबंद जिस पर जरदोजी का काम बना रहता है। पुं०=मंदिल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					मंदुरा					 :
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					स्त्री० [सं√मंद्+उरच्+टाप्] १. अश्व-साला। घुड़साल। २. चटाई।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					मंदोच्च					 :
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					पुं० [सं० मंद-उच्च, कर्म० स०] ग्रहों की एक प्रकार की गति जिससे राशि आदि का संशोधन करते हैं।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					मंदोदर					 :
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					वि० [सं मंद-उदर, ब० स०] [स्त्री० मंदोदरी] छोटे या पतले पेटवाला।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					मंदोदरी					 :
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					स्त्री० [सं० मंदोदरी+ङीष्] रावण की पटरानी जो मय दानव की कन्या थी।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					मँदोवै					 :
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					स्त्री०=मंदोदरी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					मंदोष्ण					 :
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					वि० [सं० मंद-उष्ण, कर्म० स०] कम या थोड़ा गरम। कुनकुना।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					मंद्र					 :
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					पुं० [सं०√मंद्+रक्] १. गंभीर ध्वनि। जोर का शब्द। २. संगीत में तीन प्रकार के स्वरों से एक जो अपेक्षया धीमा या मंद होता है। ३. मृदंग				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					मंद्रकर					 :
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					वि० [सं० मद्र√कृ+खच्, मुमागम] मंगलकारक। शुभ।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					मंद्राज					 :
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					पुं० [सं०] [स्त्री० मंद्राजिन] १. दक्षिण का एक प्रधान नगर जो पूर्वी घाट के किनारे है। २. उक्त नगर के आसपास का प्रदेश जो अब कई राज्यों में बँट गया है। मदरास।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					मंद्राजी					 :
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					वि०, पुं०=मदरासी।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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