शब्द का अर्थ
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					मंडन					 :
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					पुं० [सं०√मंड्+ल्युट्—अन] १. श्रृंगार करना। सजाना। २. तर्क या विवाद के प्रसंग में युक्ति आदि देकर किसी कथन या सिद्धान्त का पुष्टिकरण। जैसे—अपने पक्ष का मंडन। ‘खंडन’ का विपर्याय। वि० मंडित करनेवाला या सजानेवाला।				 | 
			
			
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					मंडना					 :
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					स० [सं० मंडन] १. मंडित या सुसज्जित करना। श्रृंगार करना। अच्छी तरह सजाना। २. तर्क, विवाद आदि के समय युक्तिपूर्वक अपना पक्ष या समर्थन ठीक सिद्ध करते हुए लोगों के सामने उपस्थित करना। कोई बात अच्छी तरह प्रतिपादित और सिद्ध करना। ३. किसी रचना की रूपरेखा आदि तैयार करना या बनाना। ४. पूरी तरह से आच्छादित करना। छाना। ५. कोई बड़ा काम करना या ठानना। स० [सं० मर्दन] दलित या मर्दित करना। नष्ट करना। अ० [हिं० माँडना का अ०] १. भाँड़ा या लिखा जाना। जैसे—खाते में रकम मंडेना। २. किसी काम या बात में लीन होना। जैसे—सब लोग नाच-रंग में मंडे थे। स० [?] मानना। [डिं०] उदा०—आगमि सिसुपाल मंडिजै उद्धव।—प्रिथीराज।				 | 
			
			
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					मँडनी					 :
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					स्त्री० [हिं० माँडना] अनाज के डंठलों को बेलों से रौंदवाने का काम। दँवरी।				 | 
			
			
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