शब्द का अर्थ
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					मंगला					 :
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					स्त्री० [सं० मंगल+अच्+टाप्] १. पार्वती। २. पतिव्रता स्त्री। ३. तुलसी। ४. दूब। ५. एक प्रकार का करंज।				 | 
			
			
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					मंगला-मुखी					 :
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					स्त्री० [हिं०] वेश्या। रंडी। (परिहास)				 | 
			
			
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					मंगला-व्रत					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] १. शिव। २. पार्वती को प्रसन्न करने के उद्देश्य से रखा जानेवाला व्रत।				 | 
			
			
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					मंगलागुरु					 :
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					पुं० [सं० मंगल-अगुरु, कर्म० स०] एक तरह का अगर (गन्ध द्रव्य)।				 | 
			
			
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					मंगलाचरण					 :
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					पुं० [सं० मंगल-आचरण, ष० त०] १. किसी का कार्य श्रीगणेश करने से पहले पढ़ा-जानेवाला कोई मांगलिक मंत्र, श्लोक या पद्यमय रचना। २. ग्रंथ के आरंभ में मंगल की कामना तथा उसकी सफल समाप्ति के निमित्त लिखा जानेवाला पद्य।				 | 
			
			
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					मंगलाचार					 :
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					पुं० [मंगल-आचार, ष० त०] १. मंगल कृत्य के पहले होनेवाला मंगल-गान या ऐसा ही और कोई कार्य। २. मंगलाचरण।				 | 
			
			
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					मंगलाय					 :
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					पुं० [दलाली मंग=आठ+आय (प्राप्त०)] अठारह की संख्या। (दलाल)				 | 
			
			
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					मंगलारंभ					 :
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					पुं० [सं० मंगल-आरंभ, ष० त०] मांगलिक कार्य का आरंभ। श्रीगणेश।				 | 
			
			
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					मंगलालय					 :
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					पुं० [सं० मंगल-आलय, ष० त०] परमेश्वर।				 | 
			
			
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					मंगलाष्टक					 :
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					पुं० [सं० मंगल-अष्टक, ष० त०] वे मंत्र जिनका पाठ विवाह के समय वर-वधू के कल्याण की कामना से किया जाता है।				 | 
			
			
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					मंगलाह्निक					 :
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					पुं० [सं० मंगल-आह्निक, मध्य० स०] कल्याण के लिए प्रति दिन किया जानेवाला कोई मंगल कृत्य।				 | 
			
			
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