शब्द का अर्थ
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					मंगल					 :
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					वि० [सं०√मंग् (गति)+अलच्] १. सुख-सौभाग्य आदि देनेवाला। २. हर तरह से भला। शुभ। पुं० १. कोई ऐसा काम या बात जो हर तरह से अभीष्ट और शुभ हो तथा सुख-सौभाग्य देनेवाली हो। २. कल्याण। भलाई। हित। जैसे—इससे सबका मंगल होगा। ३. हमारे सौर जगत का एक ग्रह जिसका व्यास ४२॰॰ मील, सूर्य से दूरी १४१॰॰॰॰॰॰ मील और जमीन से दूरी ३५॰॰॰॰॰॰। यह सूर्य की परिक्रमा ६८७ दिनों में करता है। (मार्स) ४. उक्त ग्रह के नाम पर सात वारों में से एक वार जो सोमवार और बुधवार के बीच में पड़ता है। ५. विष्णु। ६. कोई शुभ अवसर, पदार्थ या लक्षण। ७. विवाह। जैसे—पार्वती-मंगल। मुहा०—मंगल गाना=(क) विवाह अथवा ऐसे ही दूसरे शुभ अवसरों पर मांगलिक गीत गाना। आनंद के गीत गाना। (ख) विफल होकर चुपचाप बैठना। (व्यंग्य) जैसे—अगर हमारीं बात नहीं मानते हो तो बैठकर मंगल गाओ। ८. अग्नि का एक नाम। ९. आज-कल सफेद रंग की एक कठोर धातु जिसका उपयोग शीशे के समान बनाने में होता है। (मैंगनीज़)				 | 
			
			
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					मंगल-कलश					 :
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					पुं०=मंगल-घट।				 | 
			
			
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					मंगल-काम					 :
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					वि० [सं० मंगल√काम्+णिङ्+अच्] मंगल चाहनेवाला। शुभ-चिंतक।				 | 
			
			
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					मंगल-क्षौम					 :
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					पुं० [मध्य० स०] किसी मांगलिक अवसर पर पहना जानेवाला वस्त्र विशेषतः रेशमी वस्त्र।				 | 
			
			
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					मंगल-गान					 :
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					पुं० [ष० त०] विवाह आदि मंगल अवसरों पर गाये जानेवाले गीत।				 | 
			
			
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					मंगल-गीत					 :
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					पुं० [ष० त०]=मंगल-गान।				 | 
			
			
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					मंगल-गौरी					 :
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					स्त्री० [कर्म० स०] संगीत में, कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी।				 | 
			
			
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					मंगल-घट					 :
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					पुं० [मध्य० स०] मंगल अवसरों पर पूजा के लिए अथवा यों ही रखा जानेवाला जल से भरा हुआ घड़ा।				 | 
			
			
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					मंगल-चंडिका					 :
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					स्त्री० [कर्म० स०] दुर्गा का एक नाम।				 | 
			
			
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					मंगल-चंडी					 :
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					स्त्री० [कर्म० स०] एक देवी।				 | 
			
			
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					मंगल-तूर्य					 :
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					पुं० [मध्य० स०] शुभ अवसर पर बजाया जानेवाला बाजा।				 | 
			
			
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					मंगल-पाठ					 :
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					पुं० [ष० त०] मंगलाचरण।				 | 
			
			
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					मंगल-पाठक					 :
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					पुं० [ष० त०] वह जो राजाओं की स्तुति आदि करता हो। बंदीजन। भाट।				 | 
			
			
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					मंगल-प्रद					 :
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					वि० [सं० मंगल+प्र√दा (देना)+क] मंगलकारक। शुभ।				 | 
			
			
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					मंगल-प्रदा					 :
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					स्त्री० [सं० मंगलप्रद+टाप्] १. हलदी। २. शमी वृक्ष।				 | 
			
			
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					मंगल-भाषण					 :
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					पुं० [ष० त०] किसी अप्रिय अथवा अशुभ बात को प्रिय तथा शुभ रूप में कहने का प्रकार।				 | 
			
			
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					मंगल-भेरी					 :
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					स्त्री० [मध्य० स०] मांगलिक अवसरों, उत्सवों आदि के समय पर बजाया जानेवाला ढोल।				 | 
			
			
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					मंगल-यात्रा					 :
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					स्त्री० [च० त०] १. मागलिक कार्य के लिए होनेवाली यात्रा। २. आनंद-मंगल या मन-बहलाव के लिए कहीं जाना।				 | 
			
			
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					मंगल-वाद					 :
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					पुं० [ष० त०] आशीर्वाद। आशीष।				 | 
			
			
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					मंगल-वाद्य					 :
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					पुं० [मध्य० स०] मांगलिक अवसरों पर बजाये जानेवाले बाजे।				 | 
			
			
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					मंगल-वार					 :
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					पुं० [ष० त०] सप्ताह का तीसरा दिन। सोमवार और बुध-वार के बीच का दिन। भौमवार।				 | 
			
			
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					मंगल-सूत्र					 :
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					पुं० [मध्य० स०] कलाई पर बाँधा जानेवाला डोरा या तागा।				 | 
			
			
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					मंगल-स्नान					 :
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					पुं० [मध्य० स०] किसी मांगलिक अवसर पर किया जानेवाला स्नान।				 | 
			
			
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					मंगलकारक					 :
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					वि० [सं० ष० त०] मंगल अर्थात् भलाई या हित करनेवाला।				 | 
			
			
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					मंगलकारी					 :
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					स्त्री० [सं० मंगल√कृ (करना)+ट+ङीष्] संगीत में, कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी।				 | 
			
			
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					मंगलकारी रिन्)					 :
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					वि० [सं० मंगल√कृ+णिनि, उप० स०]=मंगलकारक।				 | 
			
			
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				| 
					मंगलच्छाय					 :
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					पुं० [ब० स०] बड़ का पेड़।				 | 
			
			
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					मंगलना					 :
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					स० [सं० मंगल=शुभ] किसी शुभ अवसर पर अग्नि आदि जलाना। प्रज्वलित करना। (मंगल-भाषित) जैसे—दीया मंगलना, होली मंगलना। उदा० दे० ‘मंगारना’ में। अ० प्रज्वलित होना। जलना।				 | 
			
			
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					मंगलमय					 :
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					वि० [सं० मंगल+मयट्] जिससे सब प्रकार का मंगल ही होता हो। पुं० परमेश्वर।				 | 
			
			
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					मंगला					 :
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					स्त्री० [सं० मंगल+अच्+टाप्] १. पार्वती। २. पतिव्रता स्त्री। ३. तुलसी। ४. दूब। ५. एक प्रकार का करंज।				 | 
			
			
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					मंगला-मुखी					 :
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					स्त्री० [हिं०] वेश्या। रंडी। (परिहास)				 | 
			
			
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					मंगला-व्रत					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] १. शिव। २. पार्वती को प्रसन्न करने के उद्देश्य से रखा जानेवाला व्रत।				 | 
			
			
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					मंगलागुरु					 :
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					पुं० [सं० मंगल-अगुरु, कर्म० स०] एक तरह का अगर (गन्ध द्रव्य)।				 | 
			
			
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				| 
					मंगलाचरण					 :
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					पुं० [सं० मंगल-आचरण, ष० त०] १. किसी का कार्य श्रीगणेश करने से पहले पढ़ा-जानेवाला कोई मांगलिक मंत्र, श्लोक या पद्यमय रचना। २. ग्रंथ के आरंभ में मंगल की कामना तथा उसकी सफल समाप्ति के निमित्त लिखा जानेवाला पद्य।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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				| 
					मंगलाचार					 :
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					पुं० [मंगल-आचार, ष० त०] १. मंगल कृत्य के पहले होनेवाला मंगल-गान या ऐसा ही और कोई कार्य। २. मंगलाचरण।				 | 
			
			
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				| 
					मंगलाय					 :
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					पुं० [दलाली मंग=आठ+आय (प्राप्त०)] अठारह की संख्या। (दलाल)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					मंगलारंभ					 :
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					पुं० [सं० मंगल-आरंभ, ष० त०] मांगलिक कार्य का आरंभ। श्रीगणेश।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					मंगलालय					 :
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					पुं० [सं० मंगल-आलय, ष० त०] परमेश्वर।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					मंगलाष्टक					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० मंगल-अष्टक, ष० त०] वे मंत्र जिनका पाठ विवाह के समय वर-वधू के कल्याण की कामना से किया जाता है।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					मंगलाह्निक					 :
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					पुं० [सं० मंगल-आह्निक, मध्य० स०] कल्याण के लिए प्रति दिन किया जानेवाला कोई मंगल कृत्य।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					मंगली (लिन्)					 :
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					वि० [सं० मंगल+इनि] १. (व्यक्ति) जिसकी जन्म कुंडली के पहले, चौथे, आठवें या बारहवें घर में मंगल ग्रह पड़ा हो। विशेष—कहते हैं कि ऐसा वर जल्दी ही विधुर हो जाता है और ऐसी कन्या जल्दी ही विधवा हो जाती है। २. (कुंडली) जिसके चौथे आठवें या बारहवें घर में मंगल बैठा हो।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					मंगलीय					 :
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					वि० [सं० मंगल+छ—ईय] १. मंगलकारक। २. भाग्यवान्।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					मंगलोत्सव					 :
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					पुं० [सं० मंगल-उत्सव, मध्य० स०] मांगलिक अवसरों पर होनेवाला उत्सव।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					मंगल्य					 :
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					वि० [सं० मंगल+यत्] १. मंगल या कल्याण करनेवाला। मंगल कारक। २. मनोहर। ३. सुन्दर। ४. सीधा-सादा। साधु। पुं० १. त्रायमाणा लता। २. अश्वत्थ। पीपल। ३. बिल्व। बेल। ४. मसूर। ५. जीवक वृक्ष। ६. नारियल। ७. कपित्थ। कैथ। ८. रीठ। करंज। ९. दही। १॰. चंदन। ११. सोना। स्वर्ण। १२. सिंदूर।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					मंगल्य-कुसुमा					 :
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					स्त्री० [सं० ब० स०,+टाप्] शंखपुष्पी।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					मंगल्या					 :
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					स्त्री० [सं० मंगल्य+टाप्] १. दुर्गा का एक नाम। २. एक प्रकार का अगरु जिसमें चमेली की सी गंध होती है। ३. शमी वृक्ष। ४. सफेद बच। ५. रोचना। ६. शंखपुष्पी। ७. जीवंती। ८. ऋद्धिनामक लता। ९. हलदी। १॰. दूब।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |