शब्द का अर्थ
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					भ्रमर					 :
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					पुं० [सं०√भ्रम (घूमना)+अरन्] १. भौंरा नाम का फतिंगा। २. उद्धव का एर नाम। ३. दोहे का पहले भेद जिसमें २२ गुरु और ४ लघुवर्ण होते हैं। ४. छप्पय का तिरसठवाँ भेद जिसमें ८ गुरु, १३६ लघु, १४४ वर्ण या कुल और १५२ मात्राएँ होती हैं। ५. साहित्य में चंचल मन वाला वह नायक जो अनेक नायिकाओं से अनुराग अथवा संबंध रखता हो। ६. संत समाज में चंचल मन जो अनेक प्रकार की विषय-वासनाओं का रस लेता रहता है। वि० कामुक। लम्पट।				 | 
			
			
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					भ्रमर सारंग					 :
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					पुं० [सं०] संगीत में कर्नाटकी पद्धति का एक राग।				 | 
			
			
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					भ्रमर-कंडरक					 :
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					पुं० [ष० त०] प्राचीन भारत में मधुमक्खियों की वह पिटारी जिसे चोर साथ रखते थे और कहीं की रोशनी बुझाने के लिए खोल देते हैं।				 | 
			
			
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					भ्रमर-कीट					 :
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					पुं० [उपमि० स०] एक प्रकार की बर्रे।				 | 
			
			
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					भ्रमर-गीत					 :
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					पुं० [मध्य० स०] वह गीत जिसमें उद्धव और गोपियों का संवाद हो।				 | 
			
			
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					भ्रमर-गुफा					 :
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					स्त्री० [सं०] हठ योग में ब्रह्मरंध्र।				 | 
			
			
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					भ्रमर-ध्वनि					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] संगीत में, कर्नाटकी पद्धति का एक राग।				 | 
			
			
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					भ्रमर-हंसी					 :
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					स्त्री० [सं०] संगीत में कर्नाटकी पद्धति का एक राग।				 | 
			
			
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					भ्रमर-हंसी					 :
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					स्त्री० [सं०] संगीत में कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी।				 | 
			
			
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					भ्रमर-हस्त					 :
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					पुं० [सं० मध्य० स०] नाटक के चैदह प्रकार के हस्त-विन्यासों में से एक प्रकार का हस्त-विन्यास।				 | 
			
			
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					भ्रमर-हासिनी					 :
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					स्त्री० [सं०] संगीत में कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी।				 | 
			
			
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					भ्रमरक					 :
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					पुं० [सं० भ्रमर+कन्] १. माथे पर लटकनेवाले बाल। जुल्फ। २. भ्रमर। भँवर। ३. खेलने का गेंद।				 | 
			
			
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					भ्रमरच्छली					 :
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					स्त्री० [सं० भ्रमर√छल् (धोखा देना)+अच्+ङीष्] एक प्रकार का बहुत बड़ा जंगली वृक्ष जिसके पत्ते बादाम के पत्तों के समान होते हैं और जिसमें बहुत पतली-पतली फलिया लगती हैं।				 | 
			
			
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					भ्रमरपद					 :
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					पुं० [ष० त०] एक प्रकार का वृत्त।				 | 
			
			
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					भ्रमरप्रिय					 :
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					पुं० [ष० त०] एक प्रकार का कदंब।				 | 
			
			
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					भ्रमरमुखी					 :
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					पुं० [सं०] संगीत में कर्नाटकी पद्धति का एक राग।				 | 
			
			
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					भ्रमरा					 :
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					स्त्री० [सं० भ्रमर+टाप्] भ्रमरछली नामक पौधा।				 | 
			
			
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					भ्रमरातिथि					 :
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					पुं० [सं० भ्रमर-अतिथि, ब० स०] चंपा का वृक्ष।				 | 
			
			
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					भ्रमरानंद					 :
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					वि० [सं० भ्रमर-आनंद, ब० स०] बकुल वृक्ष।				 | 
			
			
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					भ्रमरावली					 :
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					स्त्री० [भ्रमर-आवली, ष० त०] १. भौंरों की पंक्ति या श्रेणी। २. छंद शास्त्र में नलिनी या मनहरण नाम का वृत्त।				 | 
			
			
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					भ्रमरी					 :
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					स्त्री० [सं० भ्रमर+ङीष्] १, भ्रमर का स्त्री। भौंरे की मादा। २. पार्वती। ३. मिरगी नामक रोग। ४. जतुका नाम की लता। षटपदी।				 | 
			
			
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					भ्रमरेष्ट					 :
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					पुं० [सं० भ्रमर-इष्ट, ष० त०] एक प्रकार का श्योनाक।				 | 
			
			
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					भ्रमरेष्टा					 :
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					स्त्री० [सं० भ्रमर-इष्टा, ष० त०] १. भुँई जामुन। २. नारंगी।				 | 
			
			
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