शब्द का अर्थ
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					बित					 :
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					पुं०=दे० ‘बित्त’। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					बितत					 :
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					भू० कृ० [सं० वि√तन् (विस्तार होना)+क्त] १. फैला हुआ। विस्तृत। २. खींचा या ताना हुआ। जैसे—वितत धनुष। ३. झुका हुआ। पुं० १. वीणा नाम का बाजा। २. वीणा की तरह का एक बाजा।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					बितताना					 :
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					अ० [सं० व्यथित] १. व्यथित होना। २. विलाप करना। बिलखना। स० दुःखी या संतप्त करना। अ० [सं० वितान] परसना। फैलना। स० पसारना। फैलाना।				 | 
			
			
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					बितनु					 :
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					वि०=बितनु (कामदेव)। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					बितपन्न					 :
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					वि०=व्युत्पन्न। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					बितरना					 :
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					स० [सं० वितरण] १. वितरण करना। बाँटना। च० चारों ओर फैलाना। बिखेरना। वि० [स्त्री० बितेरनी] बाँटनेवाला। उदाहरण—चतुरानन हरि ईस परम पद बिसद बितरनी।—रत्ना०।				 | 
			
			
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					बितराना					 :
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					स० [हिं० वितरना] १. वितरण करना। २. चारो ओर फैलाना। अ० [?] १. बुरा कहना या बताना। ऐब या दोष लगाना। २. किसी को झूठा बनाना। यह कहना कि अणुक झूठा है या झूठ बोलता है। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					बितवना					 :
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					स०=बिताना।				 | 
			
			
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					बिता					 :
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					पुं०=बित्ता। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					बिताना					 :
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					स० [सं० व्यतीत, हिं० बीतना का संक्षिप्त रूप] अवधि, समय आदि के सम्बन्ध में व्यय या व्यतीत करना। जैसे—उन्होने सारा दिन सोकर बिताया।				 | 
			
			
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					बिताल					 :
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					पुं०=बैताल। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					बितावना					 :
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					स०=बिताना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					बितिरिक्त					 :
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					वि०=व्यतिरिक्त (अधिक)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					बितीतना					 :
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					अ० [सं० व्यतीत] व्यतीत होना। बीतना। स०=बिताना।				 | 
			
			
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					बितु					 :
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					पुं०=बित्त।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					बितुंड					 :
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					पुं०=बितुंड (हाथी)।				 | 
			
			
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					बित्त					 :
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					पुं० [सं० वित्त] १. धन। दौलत। २. निजी साधनों के बल पर। कोई काम करने की समर्थता। बिसात। बूता। ३. आर्थिक सम्पन्नता। औकात। हैसियत। ४. ऊंचाई या आकार।				 | 
			
			
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					बित्ता					 :
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					पुं० [?] १. मनुष्य के एक हाथ के अँगूठे और कनिष्ठिका के सिरों के बीच की अधिकतम दूरी। २. उक्त दूरी की एक नाप जो नौ इंच के बराबर होती है। पद—बित्ता भर=आकार में बहुत छोटा।				 | 
			
			
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					बित्ती					 :
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					स्त्री० [सं० वित्त] आय आदि में से धर्म-कार्यों के लिए निकाला हुआ धन। वि० १. बित्तवाला। सम्पन्न। २. समर्थ। स्त्री० [?] लडकों का एक प्रकार का खेल जिसमें एक लड़का कंकड़ या ठीकरा दूर फेंकता और दूसरा उसे उठाकर लाता है। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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