शब्द का अर्थ
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					फली					 :
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					पुं० [सं० फल+अच्+ङीष्] १. सोनापाढ़ा। २. कटहल। ३. प्रियंगु। ४. मूसली। ५. आमड़ा। वि० [सं० फल+इनि] १. फलों से युक्त। फलवाला। २. जिसमें फल लगते हों। ३. लाभदायक। स्त्री० [हिं० फल+ई (प्रत्यय)] १. पेड़-पौधों का फल के रूप में होनेवाला वह लंबोतरा अंग जिसके अंदर केवल बीज रहते हैं। गूदा या रस नहीं रहता। (पाँड) २. उक्त प्रकार का कोई चिपटा छोटा लंबोतरा तथा हरा फल जो तरकारी आदि के रूप में खाया जाता हो। छीबीं। (बीन) जैसे—सेम की फली।				 | 
			
			
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					फलीकरण					 :
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					पुं० [सं० फल+च्वि, इत्व, दीर्घ√कृ+ल्युट-अन] [भू० कृ० फलीकृत] १. अनाज को बूसे या भूसी से अलग करना। माँड़ना। फटकना। २. भूसी।				 | 
			
			
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					फलीता					 :
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					पुं० [अ० फलीतः] १. पलीता। क्रि० प्र०—दिखाना। २. बत्ती। ३. कपड़ों में शोबा के लिए गोट के साथ टाँकी जानेवाली डोरी। ४. ताबीज। मुहावरा—फलीता सुंघाना-ताबीज या यंत्र की धूनी देना।				 | 
			
			
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					फलीदार					 :
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					वि० [हिं० +फा] (पौधा या फसल) जिसमें फलियँ लगती हों। (लेग्यूमिनस)				 | 
			
			
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					फलीभूत					 :
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					भू० कृ० [सं० फल+च्वि, इत्व, दीर्घ√भू+क्त] जिसकी फल या परिणाम प्रत्यक्ष हो चुका हो या निकल चुका हो।				 | 
			
			
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