शब्द का अर्थ
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					फलाँ					 :
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					वि० [फा० फ़लाँ] कोई अनिश्चित। अमुक।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					फला					 :
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					स्त्री [सं०√फल्+अच्+टाप्] १. शमी। २. प्रियुंग। ३. झिझिरीट।				 | 
			
			
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					फलाकना					 :
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					स०=फलाँगना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					फलाकाँक्षा					 :
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					स्त्री० [सं० फल-आकांक्षा, ष० त०] फल-प्राप्ति की आकांक्षा या कामना।				 | 
			
			
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					फलाँग					 :
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					स्त्री० [?] १. एक स्थान से उछलकर दूसरे स्थान पर जाने की क्रिया या भाव। कुदान। चौकड़ी। छलाँग। क्रि० प्र०—भरना।—मारना। २. उतनी दूरी जो फलाँग से पार की जाय। ३. मलखंभ की एक कसरत।				 | 
			
			
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					फलाँगना					 :
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					अ० [हिं० फलाँग+ना (प्रत्यय)] एक स्थान से उछलकर दूसरे स्थान पर जाना या गिरना। फलाँग भरना। फाँदना।				 | 
			
			
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					फलागम					 :
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					पुं० [सं० फल-आगम, ष० त०] १. वृक्षों में फलों के आने का काल। फल लगने की ऋतु या मौसम। २. वृक्षों में फलआना या लगना। ३. शरद्-ऋतु। ४. साहित्य में रूपक की पाँच अवस्थाओं मे से पाँचवी और अंतिम अवस्था, जिसमें नायक आदि के अभीष्ट की सिद्धि होती है।				 | 
			
			
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					फलाढ्य					 :
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					वि० [सं० फल-आढ्य] फलों से लदा या भरा हुआ।				 | 
			
			
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					फलादन					 :
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					पुं० [सं० फल-अदन, ब० स०] १. वह जो फल खाता हो। २. तोता।				 | 
			
			
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					फलादेश					 :
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					पुं० [सं० फल-आदेश, ष० त०] १. किसी बात का फल या स्वामी। फल कहना। २. ज्योतिष में वे बातें जो ग्रहों के प्रभाव या फल के रूप में बतालाई जाती है।				 | 
			
			
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					फलाध्यक्ष					 :
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					पुं० [सं० फल-अध्यक्ष, ष० त०] १. फलों का मालिक या स्वामी। २. ईश्वर जो सब प्रकार के फल देता है। ३.खिरनी का पेड़।				 | 
			
			
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					फलान					 :
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					स्त्री० [अ० फलाँ] स्त्री का भग। योनि। (बाजारू)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					फलाना					 :
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					स० [हिं० फलना का प्रे०] १. किसी को फलने मे प्रवृत्त करना। फलने का काम कराना। २. फलों से युक्त करना। वि० [वि० फलाँ] [स्त्री० फलानी] (वह) जिसका नाम न लिया गया हो। अमुक।				 | 
			
			
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					फलानुमेय					 :
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					वि० [सं० फल-अनुमेय, तृ० त०] जिसका अनुमान फल या परिणाम देखने से ही किया जाय।				 | 
			
			
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					फलापेक्षा					 :
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					स्त्री० [सं० फल-अपेक्षा, ष० त०] फल की अपेक्षा या कामना।				 | 
			
			
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					फलाफल					 :
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					पुं० [सं० फल-अफल, द्व० स०] किसी कर्म या कार्य के शुभ-अशुभ या इष्ट-अनिष्ट फल। फल और अफल।				 | 
			
			
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					फलाम्य					 :
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					पुं० [सं० फल-अम्ल, द्व० स०] १. खट्टे रसवाला या खट्टा फल। २. अम्लबेंत। ३. विषावली। विषाविल।				 | 
			
			
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					फलाम्ल-पंचक					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] बेर, अनार, विषाविल अम्लबेंत और बिजौरा ये पाँच खट्टे फल।				 | 
			
			
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					फलार					 :
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					पुं०=फलाहार। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					फलाराम					 :
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					पुं० [सं० फल-आराम, ष० त०] फलदार वृक्षों का बाग।				 | 
			
			
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					फलारी					 :
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					वि०=फलाहारी। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					फलार्थी (र्थिन्)					 :
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					पुं० [सं० फल√अर्थ+णिनि] वह जो फल की कामना करे। फलकामी।				 | 
			
			
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					फलालीन					 :
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					स्त्री० (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)=फलालेन।				 | 
			
			
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					फलालेन					 :
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					स्त्री० [अं० फ़्नानेल] एक प्रकार का ऊनी वस्त्र जो बहुत कोमल और ढीली ढाली बुनावट का होता है।				 | 
			
			
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					फलावरण					 :
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					पुं० [सं० फल-आवरण, ष० त०] फलनेवाले पेड़-पौधों के फलों का वह ऊपरी आवरण जिसके अंदर बीज रहते हैं। (पेरिकॉर्प)				 | 
			
			
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					फलांश					 :
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					पुं० [सं० फल-अंश, मयू० स०] १. तात्पर्य। २. सारांश।				 | 
			
			
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					फलाशन					 :
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					पुं० [सं० फल-अशन, ब० स०] १. वह जो फल खाता हो। फल खानेवाला। २. तोता।				 | 
			
			
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					फलाशी (शिन्)					 :
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					पुं० [सं०√फल+अश्+णिनि] वह जो फल खाता हो। फल खानेवाला।				 | 
			
			
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					फलासंग					 :
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					पुं० [फल-आसंग, स० त०] किसी क्रम के फल के प्रति होनेवाला आसंग या आसक्ति।				 | 
			
			
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					फलासव					 :
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					पुं० [सं० फल-आसव, ष० त०] चरक के अनुसार दाख, खजूर आदि फलों के आसव जो २६ प्रकार के होते हैं।				 | 
			
			
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					फलाहत					 :
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					स्त्री० [हिं० फलाना=फलों से युक्त करना] १. वृक्षों आदि से फल उत्पन्न करने की क्रिया, भाव या व्यवसाय। २. कृषि-कर्म। खेती-बारी। (पश्चिम)।				 | 
			
			
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					फलाहार					 :
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					पुं० [सं० फल-आहार, ष० त०] फलों का आहार। स्त्री० [सं० फलाहार] अन्न-वर्ग के खाद्यानों से भिन्न कुछ विशिष्ट फलों से बनाये जानेवाले व्यंजन जो हिन्दुओं में व्रत के दिन खाये जाते हैं। जैसे—एकादशी को स्त्रियां फलाहार करती है।				 | 
			
			
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					फलाहारी (रिन्)					 :
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					पुं० [सं० फलाहार+इनि] [स्त्री० फलाहारिणी] वह जो फल खाकर निर्वाह करता हो। वि० १. फलाहार संबंधी। २. (खाद्य पदार्थ) जिसकी गिनती फलाहार में होती है। (फलाहारी चीज में अन्न का मेल नहीं होती है।) जैसे—फलाहारी मिठाई।				 | 
			
			
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