शब्द का अर्थ
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					पैज					 :
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					स्त्री० [सं० प्रतिज्ञा; प्रा० प्रतिञ्जा; अप० पइज्जाँ] १. प्रतिज्ञा। प्रण। मुहा०—पैज सारना=(क) प्रतिज्ञा पूरी करना। (ख) अपनी बात या हठ रखना। उदा०—बरबस ही लै जान कहते हैं पैज अपनी सारत।—सूर। २. जिद। हठ। क्रि० प्र०—करना।—गहना।—बाँधना। ३. लाग-डाँट के कारण बराबरी करने का प्रयत्न। रीस। मुहा०—(किसी से) पैज पड़ना=प्रतिद्वंद्विता या लाग-डाँट होना। ४. दे० ‘पैंतरा’।				 | 
			
			
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					पैजा					 :
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					पुं० [हिं० पाय+सं० जट, हिं० जड़] लोहे का कड़ा जो किवाड़ के छेद में इसलिए पहनाया रहता है जिसमें किवाड़ उतर न सके। पायजा।				 | 
			
			
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					पैजामा					 :
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					पुं०=पाजामा।				 | 
			
			
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					पैजार					 :
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					स्त्री० [फा० पैज़ार] जूता। पनही। जोड़ा। पद—जूती-पैजार। (दे०)				 | 
			
			
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