शब्द का अर्थ
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					पेंदा					 :
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					पुं० [सं० पिंड] [स्त्री० अल्पा० पेंदी] १. किसी वस्तु का वह निचला भाग जिसके सहारे वह खड़ी, ठहरी या रखी जाती हो। तला। जैसे—लोटे का पेंदा, जहाज का पेंदा। पद—बे पेंदी का लोटा=ऐसा व्यक्ति जिसे स्वयं कोई बात समझने और किसी निर्णय तक पहुँचने की बुद्धि न हो, बल्कि उसे जो कोई जैसी राय देता हो उसे ठीक मान लेता हो। मुहा०—पेंदें के बल बैठना=(क) चूतड़ टेककर या पलथी मारकर बैठना। (ख) हार मानकर चुप हो जाना। २. सबसे नीचेवाला अंश या स्तर।				 | 
			 
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			 
			
				 
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