शब्द का अर्थ
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					पाठा					 :
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					स्त्री० [सं०√पठ्+घञ्+टाप्] पाढ़ा नाम की लता। वि० [सं० पुष्ट] [स्त्री० पाठी] १. हृष्ट-पुष्ट। २. पट्ठा। जवान। पुं० जवान बकरा, बैल या भैंसा। २. गाय-बैलों की एक जाति। (बुंदेलखंड)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					पाठा					 :
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					स्त्री० [सं०√पठ्+घञ्+टाप्] पाढ़ा नाम की लता। वि० [सं० पुष्ट] [स्त्री० पाठी] १. हृष्ट-पुष्ट। २. पट्ठा। जवान। पुं० जवान बकरा, बैल या भैंसा। २. गाय-बैलों की एक जाति। (बुंदेलखंड)				 | 
			
			
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					पाठागार					 :
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					पुं० सं० [पाठ-आगार, ष० त०] वह स्थान जहाँ बैठकर किसी विषय का अध्ययन, या ग्रंथों का पाठ किया जाता हो। (स्टडी रूम)				 | 
			
			
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					पाठागार					 :
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					पुं० सं० [पाठ-आगार, ष० त०] वह स्थान जहाँ बैठकर किसी विषय का अध्ययन, या ग्रंथों का पाठ किया जाता हो। (स्टडी रूम)				 | 
			
			
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					पाठांतर					 :
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					पुं० [सं० पाठ-अंतर, मयू० स०] किसी एक ही पुस्तक की विचित्र हस्तलिखित प्रतियों में अथवा विभिन्न संपादकों द्वारा संपादित प्रतियों में होनेवाला शब्दों अथवा उनके वर्णों के क्रम में होनेवाला भेद।				 | 
			
			
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					पाठांतर					 :
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					पुं० [सं० पाठ-अंतर, मयू० स०] किसी एक ही पुस्तक की विचित्र हस्तलिखित प्रतियों में अथवा विभिन्न संपादकों द्वारा संपादित प्रतियों में होनेवाला शब्दों अथवा उनके वर्णों के क्रम में होनेवाला भेद।				 | 
			
			
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					पाठालय					 :
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					पुं० [पाठ-आलय, ष० त०] पाठशाला।				 | 
			
			
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					पुं० [पाठ-आलय, ष० त०] पाठशाला।				 | 
			
			
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					पाठालोचन					 :
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					पुं० [सं० पाठ-आलोचन, ष० त०] आज-कल साहित्यिक क्षेत्र में, इस बात का वैज्ञानिक अनुसंधान या विवेचन कि किसी साहित्यिक कृति के संदिग्ध अंश का मूलपाठ वास्तव में कैसा और क्या रहा होगा। किसी ग्रंथ के मूल और वास्तविक पाठ का ऐसा निर्धारण जो पूरा छान-बीन करके किया जाय। (टेक्सचुअल क्रिटिसिज़म) विशेष—इस प्रकार का पाठालोचन मुख्यतः प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथों की अनेक प्रतिलिपियों अथवा ऐसी साहित्यिक कृतियों के संबंध में होता है जिनका प्रकाशन तथा मुद्रण स्वयं लेखक की देख-रेख में न हुआ हो।				 | 
			
			
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					पाठालोचन					 :
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					पुं० [सं० पाठ-आलोचन, ष० त०] आज-कल साहित्यिक क्षेत्र में, इस बात का वैज्ञानिक अनुसंधान या विवेचन कि किसी साहित्यिक कृति के संदिग्ध अंश का मूलपाठ वास्तव में कैसा और क्या रहा होगा। किसी ग्रंथ के मूल और वास्तविक पाठ का ऐसा निर्धारण जो पूरा छान-बीन करके किया जाय। (टेक्सचुअल क्रिटिसिज़म) विशेष—इस प्रकार का पाठालोचन मुख्यतः प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथों की अनेक प्रतिलिपियों अथवा ऐसी साहित्यिक कृतियों के संबंध में होता है जिनका प्रकाशन तथा मुद्रण स्वयं लेखक की देख-रेख में न हुआ हो।				 | 
			
			
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