शब्द का अर्थ
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					पाटा					 :
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					पुं० [हिं० पाट] [स्त्री० अल्पा० पाटी] १. बैठने का काठ का पीढ़ा। मुहा०—पाटा फेरना=विवाह में कन्यादान के उपरांत वर के पीढ़े पर कन्या और कन्या के पीढ़े पर वर को बैठाना। २. राज-सिंहासन। ३. लंबी धरन की तरह की वह आयताकार लकड़ी जिसकी सहायता से जोते हुए खेत की मिट्टी के ढेले तोड़कर उसे समतल करते हैं। ४. उक्त प्रकार का लकड़ी का वह छोटा टुकड़ा जिसके द्वारा राज लोग दीवारों का पलस्तर बराबर या समतल करते हैं। क्रि० प्र०—चलाना।—फेरना। ५. दो दीवारों के बीच में तख्ता, पटिया आदि लगाकर बनाया हुआ आधार स्थान।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					पाटा					 :
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					पुं० [हिं० पाट] [स्त्री० अल्पा० पाटी] १. बैठने का काठ का पीढ़ा। मुहा०—पाटा फेरना=विवाह में कन्यादान के उपरांत वर के पीढ़े पर कन्या और कन्या के पीढ़े पर वर को बैठाना। २. राज-सिंहासन। ३. लंबी धरन की तरह की वह आयताकार लकड़ी जिसकी सहायता से जोते हुए खेत की मिट्टी के ढेले तोड़कर उसे समतल करते हैं। ४. उक्त प्रकार का लकड़ी का वह छोटा टुकड़ा जिसके द्वारा राज लोग दीवारों का पलस्तर बराबर या समतल करते हैं। क्रि० प्र०—चलाना।—फेरना। ५. दो दीवारों के बीच में तख्ता, पटिया आदि लगाकर बनाया हुआ आधार स्थान।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |