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पहल  : पुं० [फा० पहलू, मि० सं० पटल] १. किसी घन पदार्थ के तीन या अधिक कोनों अथवा कोरों के बीच का तल या पार्श्व। २. बगल। पहलू। जैसे—(क) पासे में छः पहल होते हैं। (ख) इस नगीने में बारह पहल कटे हैं। क्रि० प्र०—काटना।—तराशना।—बनाना। मुहा०—पहल निकालना=किसी पदार्थ के पृष्ठ देश या बाहरी सतह को तराश या छीलकर उसमें त्रिकोण, चतुष्कोण, षट्कोण आदि पहल बनाना। २. ऊन, रूई आदि की कुछ कड़ी और मोटी तह या परत। गाला। उदा०—तूल के पहल किधौं पवन अधार के।—सेनापति। ३. किसी तरह की तह या परत। स्त्री० [हिं० पहला] १. किसी नये कार्य का पहली बार होनेवाला आरंभ। २. किसी कार्य, बात आदि का किसी एक पक्ष की ओर होनेवाला आरंभ जिसके पश्चप्रभाव का उत्तरदायित्व उसी पक्ष पर माना जाता है। छेड़। (इनीशिएटिव) जैसे—झगड़े में पहले तो उसने पहल की थी। मुहा०—पहल करना=किसी काम या अपनी ओर से या आगे बढ़कर आरंभ करना।
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पहल  : पुं० [फा० पहलू, मि० सं० पटल] १. किसी घन पदार्थ के तीन या अधिक कोनों अथवा कोरों के बीच का तल या पार्श्व। २. बगल। पहलू। जैसे—(क) पासे में छः पहल होते हैं। (ख) इस नगीने में बारह पहल कटे हैं। क्रि० प्र०—काटना।—तराशना।—बनाना। मुहा०—पहल निकालना=किसी पदार्थ के पृष्ठ देश या बाहरी सतह को तराश या छीलकर उसमें त्रिकोण, चतुष्कोण, षट्कोण आदि पहल बनाना। २. ऊन, रूई आदि की कुछ कड़ी और मोटी तह या परत। गाला। उदा०—तूल के पहल किधौं पवन अधार के।—सेनापति। ३. किसी तरह की तह या परत। स्त्री० [हिं० पहला] १. किसी नये कार्य का पहली बार होनेवाला आरंभ। २. किसी कार्य, बात आदि का किसी एक पक्ष की ओर होनेवाला आरंभ जिसके पश्चप्रभाव का उत्तरदायित्व उसी पक्ष पर माना जाता है। छेड़। (इनीशिएटिव) जैसे—झगड़े में पहले तो उसने पहल की थी। मुहा०—पहल करना=किसी काम या अपनी ओर से या आगे बढ़कर आरंभ करना।
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पहलदार  : वि० [हिं० पहल+फा० दार] जिसमें पहल कटे या बने हों। जिसमें चारों ओर अलग-अलग तल या सतहें हों।
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पहलदार  : वि० [हिं० पहल+फा० दार] जिसमें पहल कटे या बने हों। जिसमें चारों ओर अलग-अलग तल या सतहें हों।
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पहलनी  : स्त्री० [हिं० पहल] सुनारों का एक औजार जिससे कोंढ़ा या घुंडी गोल करते हैं।
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पहलवान  : पुं० [फा० पहलवान] [भाव० पहलवानी] १. वह व्यक्ति जो स्वयं दूसरों से कुश्ती लड़ता हो अथवा दूसरों को कुश्ती लड़ना सिखलाता हो। २. मोटा-ताजा। तगड़ा। हट्टा-कट्टा। वि० खूब बलवान और मोटा-ताजा।
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पहलवान  : पुं० [फा० पहलवान] [भाव० पहलवानी] १. वह व्यक्ति जो स्वयं दूसरों से कुश्ती लड़ता हो अथवा दूसरों को कुश्ती लड़ना सिखलाता हो। २. मोटा-ताजा। तगड़ा। हट्टा-कट्टा। वि० खूब बलवान और मोटा-ताजा।
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पहलवानी  : वि० [फा० पहलवानी] १. पहलवानों से संबंध रखनेवाला। २. पहलवानों की तरह का। स्त्री० १. पहलवान होने की अवस्था या भाव। २. पहलवान का पेशा, वृत्ति या शौक। ३. बलवान और सशक्त होने की अवस्था या भाव। जैसे—वह तुम्हारी सारी पहलवानी निकालकर रख देगा।
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पहलवानी  : वि० [फा० पहलवानी] १. पहलवानों से संबंध रखनेवाला। २. पहलवानों की तरह का। स्त्री० १. पहलवान होने की अवस्था या भाव। २. पहलवान का पेशा, वृत्ति या शौक। ३. बलवान और सशक्त होने की अवस्था या भाव। जैसे—वह तुम्हारी सारी पहलवानी निकालकर रख देगा।
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पहलवी  : पुं०, स्त्री० [फा०]=पह्लवी।
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पहलवी  : पुं०, स्त्री० [फा०]=पह्लवी।
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पहला  : वि० [सं० प्रथम, प्रा० पहिले] [स्त्री० पहली] १. समय के विचार से जो और सब से आदि में हुआ हो। जैसे—यह उनका पहला लड़का है। २. किसी चीज विशेषतः किसी वर्गीतकृत चीज के आरंभिक या प्रारंभिक अंश या वर्ग से संबंध रखनेवाला। जैसे—पुस्तक का पहला अध्याय, विद्यालय का पहला दरजा। ३. तुलना, प्रतियोगिता आदि में जो सब से आगे निकल पहुँच या बढ़ गया हो। जैसे—दौड़, परीक्षा आदि में पहला आना। ४. वर्तमान से पूर्व का। विगत। जैसे—पहला जमाना कुछ और ही तरह का था। ५. जो अत्यधिक उपयोगी, महत्त्वपूर्ण या मूल्यवान हो।
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पहला  : वि० [सं० प्रथम, प्रा० पहिले] [स्त्री० पहली] १. समय के विचार से जो और सब से आदि में हुआ हो। जैसे—यह उनका पहला लड़का है। २. किसी चीज विशेषतः किसी वर्गीतकृत चीज के आरंभिक या प्रारंभिक अंश या वर्ग से संबंध रखनेवाला। जैसे—पुस्तक का पहला अध्याय, विद्यालय का पहला दरजा। ३. तुलना, प्रतियोगिता आदि में जो सब से आगे निकल पहुँच या बढ़ गया हो। जैसे—दौड़, परीक्षा आदि में पहला आना। ४. वर्तमान से पूर्व का। विगत। जैसे—पहला जमाना कुछ और ही तरह का था। ५. जो अत्यधिक उपयोगी, महत्त्वपूर्ण या मूल्यवान हो।
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पहलाम  : स्त्री० [हिं० पहला+म (प्रत्य०)] लड़ाई-झगड़े के संबंध में की जानेवाली छेड़। पहल। जैसे—इस बार तो तुम्हीं ने पहलाम की थी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पहलाम  : स्त्री० [हिं० पहला+म (प्रत्य०)] लड़ाई-झगड़े के संबंध में की जानेवाली छेड़। पहल। जैसे—इस बार तो तुम्हीं ने पहलाम की थी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पहलू  : पुं० [फा० पहलू] १. किसी वस्तु का कोई विशिष्ट पार्श्व या किसी दिशा में पड़नेवाला अंग या विस्तार। २. व्यक्ति के शरीर का दाहिना या बायाँ अंग। पार्श्व। बगल। जैसे—जो जल उठता है यह पहलू तो वह पहलू बदलते हैं।—कोई कवि। मुहा०—(किसी का) पहलू गरम करना=किसी के शरीर से विशेषतः प्रेयसी प्रेमपात्र का प्रेमी के शरीर से सटकर बैठना। किसी के पास या साथ बैठकर उसे सुखी करना। (किसी से) पहलू गरम करना=किसी को विशेषतः प्रेयसी या प्रेमपात्र को शरीर से सटाकर बैठाना। मुहब्बत में बैठाना। (किसी के) पहलू में रहना=किसी के बहुत पास या बिलकुल साथ में रहना। ३. करवट। बल। जैसे—किसी पहलू से चैन नहीं मिलता। ४. पड़ोस। मुहा०—पहलू बसाना=किसी के पड़ोस में जाकर रहना। ५. किसी समूह का कोई पार्श्व या भाग। जैसे—फौज का दाहिना पहलू ज्यादा मजबूत था। मुहा०—पहलू दबना=किसी अंग या पार्श्व का दुर्बल होने या हारने के कारण पीछे हटना। (किसी के) पहलू पर होना=विकट अवसर पर सहायता करने के लिए प्रस्तुत रहना। ६. किसी बात या विषय का अच्छाई-बुराई, गुण-दोष आदि की दृष्टि से कोई पक्ष। जैसे—मुकदमे के सब पहलू पहले से सोच रखो। मुहा०—(किसी बात का) पहलू बचाना=इस बात का ध्यान रखना या युक्ति करना किसी किसी अंग, पक्ष या पार्श्व से किसी प्रकार का अनिष्ट अथवा कोई अप्रिय घटना या बात न होने पावे। (अपना) पहलू बचाना=कोई काम करने से जी चुराना या टाल-मटोल करके पीछे हटना। ७. अगल-बगल या आस-पास का स्थान। पार्श्व। जैसे—पहाड़ के पहलू में एक घना जंगल था। पद—पहलूनशी=(क) पास बैठनेवाला। (ख) पास बैठा हुआ। मुहा०—(किसी का) पहलू बसाना=किसी के पड़ोस या समीप में जा रहना। पड़ोस आबाद करना। ८. किसी पदार्थ के किसी पार्श्व का कोई समतल पृष्ठ-देश। पहल। जैसे—इस नगीने का कोई पहलू चौकोर नहीं है। ९. गूढ़ अर्थ। १॰. युक्ति। ११. बहाना। १२. रूख।
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पहलू  : पुं० [फा० पहलू] १. किसी वस्तु का कोई विशिष्ट पार्श्व या किसी दिशा में पड़नेवाला अंग या विस्तार। २. व्यक्ति के शरीर का दाहिना या बायाँ अंग। पार्श्व। बगल। जैसे—जो जल उठता है यह पहलू तो वह पहलू बदलते हैं।—कोई कवि। मुहा०—(किसी का) पहलू गरम करना=किसी के शरीर से विशेषतः प्रेयसी प्रेमपात्र का प्रेमी के शरीर से सटकर बैठना। किसी के पास या साथ बैठकर उसे सुखी करना। (किसी से) पहलू गरम करना=किसी को विशेषतः प्रेयसी या प्रेमपात्र को शरीर से सटाकर बैठाना। मुहब्बत में बैठाना। (किसी के) पहलू में रहना=किसी के बहुत पास या बिलकुल साथ में रहना। ३. करवट। बल। जैसे—किसी पहलू से चैन नहीं मिलता। ४. पड़ोस। मुहा०—पहलू बसाना=किसी के पड़ोस में जाकर रहना। ५. किसी समूह का कोई पार्श्व या भाग। जैसे—फौज का दाहिना पहलू ज्यादा मजबूत था। मुहा०—पहलू दबना=किसी अंग या पार्श्व का दुर्बल होने या हारने के कारण पीछे हटना। (किसी के) पहलू पर होना=विकट अवसर पर सहायता करने के लिए प्रस्तुत रहना। ६. किसी बात या विषय का अच्छाई-बुराई, गुण-दोष आदि की दृष्टि से कोई पक्ष। जैसे—मुकदमे के सब पहलू पहले से सोच रखो। मुहा०—(किसी बात का) पहलू बचाना=इस बात का ध्यान रखना या युक्ति करना किसी किसी अंग, पक्ष या पार्श्व से किसी प्रकार का अनिष्ट अथवा कोई अप्रिय घटना या बात न होने पावे। (अपना) पहलू बचाना=कोई काम करने से जी चुराना या टाल-मटोल करके पीछे हटना। ७. अगल-बगल या आस-पास का स्थान। पार्श्व। जैसे—पहाड़ के पहलू में एक घना जंगल था। पद—पहलूनशी=(क) पास बैठनेवाला। (ख) पास बैठा हुआ। मुहा०—(किसी का) पहलू बसाना=किसी के पड़ोस या समीप में जा रहना। पड़ोस आबाद करना। ८. किसी पदार्थ के किसी पार्श्व का कोई समतल पृष्ठ-देश। पहल। जैसे—इस नगीने का कोई पहलू चौकोर नहीं है। ९. गूढ़ अर्थ। १॰. युक्ति। ११. बहाना। १२. रूख।
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पहलूदार  : वि० [फा०] जिसके कई पहलू (पक्ष या पहल) हों।
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पहलूदार  : वि० [फा०] जिसके कई पहलू (पक्ष या पहल) हों।
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पहले  : अव्य० [हिं० पहला] १. आदि आरंभ या शुरु में। सर्वप्रथम। जैसे—पहले यहाँ कोई दूकान नहीं थी। २. काल, घटना, स्थिति आदि के क्रम के विचार से आगे या पूर्व। जैसे—उनके मकान के पहले एक पुल पड़ता है। ३. बीते हुए समय में। पूर्वकाल में। अगले जमाने में। जैसे—पहले की-सी सस्ती अब फिर क्यों होने लगी।
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पहले  : अव्य० [हिं० पहला] १. आदि आरंभ या शुरु में। सर्वप्रथम। जैसे—पहले यहाँ कोई दूकान नहीं थी। २. काल, घटना, स्थिति आदि के क्रम के विचार से आगे या पूर्व। जैसे—उनके मकान के पहले एक पुल पड़ता है। ३. बीते हुए समय में। पूर्वकाल में। अगले जमाने में। जैसे—पहले की-सी सस्ती अब फिर क्यों होने लगी।
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पहले-पहले  : अव्य० [हिं० पहले] १. आदि या आरंभ में। सर्वप्रथम। सबसे पहले। २. जीवन में पहली बार। जैसे—वह पहले-पहल दिल्ली गया है।
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पहले-पहले  : अव्य० [हिं० पहले] १. आदि या आरंभ में। सर्वप्रथम। सबसे पहले। २. जीवन में पहली बार। जैसे—वह पहले-पहल दिल्ली गया है।
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पहलेज  : पुं० [देश०] एक प्रकार का लंबोतरा खरबूजा।
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पहलेज  : पुं० [देश०] एक प्रकार का लंबोतरा खरबूजा।
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पहलौठा  : वि० [हिं० पहल+औठा (प्रत्य०)] [स्त्री० पहलौठी] (माता-पिता का वह पुत्र) जिसे (उन्होंने) सबसे पहले जन्म दिया हो। अथवा जो सबसे पहले जन्मा हो। प्रथम प्रसव।
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पहलौठा  : वि० [हिं० पहल+औठा (प्रत्य०)] [स्त्री० पहलौठी] (माता-पिता का वह पुत्र) जिसे (उन्होंने) सबसे पहले जन्म दिया हो। अथवा जो सबसे पहले जन्मा हो। प्रथम प्रसव।
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