शब्द का अर्थ
			 | 
		 
					
				| 
					पसीजना					 :
				 | 
				
					अ० [सं० प्र√स्विद्, प्रस्विद्यति, प्रा० पसिज्ज] १. अधिक गरमी या ताप के प्रभाव के कारण किसी घन या ठोस पदार्थ में से जल-कण निकालना। २. दूसरे के घोर कष्ट, दुःख आदि को देखने पर चित्त में (प्रायः कठोर चित्त में) दया की भावना उमड़ना। ३. पसीने से तर होना।				 | 
			 
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			 
			
					
				| 
					पसीजना					 :
				 | 
				
					अ० [सं० प्र√स्विद्, प्रस्विद्यति, प्रा० पसिज्ज] १. अधिक गरमी या ताप के प्रभाव के कारण किसी घन या ठोस पदार्थ में से जल-कण निकालना। २. दूसरे के घोर कष्ट, दुःख आदि को देखने पर चित्त में (प्रायः कठोर चित्त में) दया की भावना उमड़ना। ३. पसीने से तर होना।				 | 
			 
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			 
			
				 
		 |