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पलायनवाद  : पुं० [ष० त०] आजकल का यह वाद या सिद्धांत कि संसार के सभी चीजें और बातें अपने प्रस्तुत रूप और स्थिति से विरक्त होकर किसी न किसी प्रकार की नवीनता और विशिष्टता की ओर प्रवृत्त होती रहती हैं। (एस्केपइज़्म) विशेष—इस वाद का मुख्य आशय यह है कि जो कुछ है, उससे ऊबकर हर एक चीज उसकी ओर बढ़ती है, जो नहीं है—पदास्ति से यन्नास्ति की ओर प्रवृत्त होती है। आधुनिक हिंदी क्षेत्र में छायावाद, निराशावाद आदि की जो प्रवृत्तियाँ दिखाई देती हैं, वे भी इसी पलायनवाद के फल के रूप में मानी जाती हैं। कुछ लोग इसे एक प्रकार की विकृति भी मानते हैं।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पलायनवाद  : पुं० [ष० त०] आजकल का यह वाद या सिद्धांत कि संसार के सभी चीजें और बातें अपने प्रस्तुत रूप और स्थिति से विरक्त होकर किसी न किसी प्रकार की नवीनता और विशिष्टता की ओर प्रवृत्त होती रहती हैं। (एस्केपइज़्म) विशेष—इस वाद का मुख्य आशय यह है कि जो कुछ है, उससे ऊबकर हर एक चीज उसकी ओर बढ़ती है, जो नहीं है—पदास्ति से यन्नास्ति की ओर प्रवृत्त होती है। आधुनिक हिंदी क्षेत्र में छायावाद, निराशावाद आदि की जो प्रवृत्तियाँ दिखाई देती हैं, वे भी इसी पलायनवाद के फल के रूप में मानी जाती हैं। कुछ लोग इसे एक प्रकार की विकृति भी मानते हैं।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पलायनवादी (दिन्)  : वि० [सं० पलायनवाद+इनि] पलायनवाद-संबंधी। पुं० वह जो पलायनवाद का सिद्धांत मानता हो या उसका अनुयायी हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पलायनवादी (दिन्)  : वि० [सं० पलायनवाद+इनि] पलायनवाद-संबंधी। पुं० वह जो पलायनवाद का सिद्धांत मानता हो या उसका अनुयायी हो।
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