शब्द का अर्थ
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					परे					 :
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					अव्य० [सं० पर] १. वक्ता अथवा किसी विशिष्ट व्यक्ति से कुछ दूर हटकर या दूर रहकर। जैसे—परे हटकर खड़े होना। मुहा०—परे परे करना=उपेक्षा, घृणा आदि के कारण यह कहना कि दूर रहो या दूर हट जाओ। २. किसी क्षेत्र की सीमा से बाहर या दूर। जैसे—गाँव से परे पहाड़ है। ३. पहुँच, पैठ आदि से दूर या बाहर। जैसे—ईश्वर बुद्धि से परे है। ४. अलग, असंबद्ध या वियुक्त स्थिति में। जैसे वह तो जाति से परे है। ५. तुलना आदि के विचार से ऊँची स्थिति में या बढ़कर। आगे, ऊपर या बढ़कर। जैसे—इससे परे और क्या बात हो सकती है। मुहा०—परे बैठाना=अपनी तुलना में तुच्छ ठहराना। अयोग्य या हीन सिद्ध करना। जैसे—यह घोड़ा तो तुम्हारे घोड़े को परे बैठा देगा। ६. पीछे। बाद। (क्व०)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					परे					 :
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					अव्य० [सं० पर] १. वक्ता अथवा किसी विशिष्ट व्यक्ति से कुछ दूर हटकर या दूर रहकर। जैसे—परे हटकर खड़े होना। मुहा०—परे परे करना=उपेक्षा, घृणा आदि के कारण यह कहना कि दूर रहो या दूर हट जाओ। २. किसी क्षेत्र की सीमा से बाहर या दूर। जैसे—गाँव से परे पहाड़ है। ३. पहुँच, पैठ आदि से दूर या बाहर। जैसे—ईश्वर बुद्धि से परे है। ४. अलग, असंबद्ध या वियुक्त स्थिति में। जैसे वह तो जाति से परे है। ५. तुलना आदि के विचार से ऊँची स्थिति में या बढ़कर। आगे, ऊपर या बढ़कर। जैसे—इससे परे और क्या बात हो सकती है। मुहा०—परे बैठाना=अपनी तुलना में तुच्छ ठहराना। अयोग्य या हीन सिद्ध करना। जैसे—यह घोड़ा तो तुम्हारे घोड़े को परे बैठा देगा। ६. पीछे। बाद। (क्व०)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					परेई					 :
				 | 
				
					स्त्री० [हिं० परेवा] १. पंडुकी। फाखता। २. मादा कबूतर। कबूतरी।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					परेई					 :
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					स्त्री० [हिं० परेवा] १. पंडुकी। फाखता। २. मादा कबूतर। कबूतरी।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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				| 
					परेखना					 :
				 | 
				
					स० [सं० परीक्षण] १. परीक्षा करना। २. दे० ‘परखना’। अ० [सं० प्रतीक्षा] प्रतीक्षा करना। राह देखना। अ० [?] पश्चाताप करना। पछताना।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					परेखना					 :
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					स० [सं० परीक्षण] १. परीक्षा करना। २. दे० ‘परखना’। अ० [सं० प्रतीक्षा] प्रतीक्षा करना। राह देखना। अ० [?] पश्चाताप करना। पछताना।				 | 
			
			
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				| 
					परेखा					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० परीक्षा] १. परीक्षा। जाँच। २. परखने की योग्यता या शक्ति। परख। ३. प्रतीति। पुं० [?] १. मन में होनेवाला खेद या विषाद। २. चिंता। फिक्र। ३. पश्चात्ताप। पुं०=प्रतीक्षा।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					परेखा					 :
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					पुं० [सं० परीक्षा] १. परीक्षा। जाँच। २. परखने की योग्यता या शक्ति। परख। ३. प्रतीति। पुं० [?] १. मन में होनेवाला खेद या विषाद। २. चिंता। फिक्र। ३. पश्चात्ताप। पुं०=प्रतीक्षा।				 | 
			
			
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				| 
					परेग					 :
				 | 
				
					स्त्री० [अं० पेग] लोहे की छोटी कील।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेग					 :
				 | 
				
					स्त्री० [अं० पेग] लोहे की छोटी कील।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेड					 :
				 | 
				
					स्त्री० [अं०] १. वह मैदान जहाँ सैनिकों को सैनिक शिक्षा दी जाती है। २. सिपाहियों या सैनिकों को दी जानेवाली सैनिक शिक्षा और उनसे संबंध रखनेवाले कार्यों का कराया जानेवाला अभ्यास। सैनिकों की कवायद।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					परेड					 :
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					स्त्री० [अं०] १. वह मैदान जहाँ सैनिकों को सैनिक शिक्षा दी जाती है। २. सिपाहियों या सैनिकों को दी जानेवाली सैनिक शिक्षा और उनसे संबंध रखनेवाले कार्यों का कराया जानेवाला अभ्यास। सैनिकों की कवायद।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					परेत					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० प्रेत] १. दे० ‘प्रेत’। २. मृत शरीर। लाश। शव।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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				| 
					परेत					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० प्रेत] १. दे० ‘प्रेत’। २. मृत शरीर। लाश। शव।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेता					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० परित=चारों ओर] १. बाँस की पतली चिपटी तीलियों का बना हुआ बेलन के आकार का एक उपकरण जिसके दोनों ओर पकड़ने के लिए दो लंबी डंडियाँ होती हैं और जिस पर जुलाहे लोग सूत या रेशम लपेट कर रखते हैं। २. उक्त की तरह का वह उपकरण जिस पर पतंग उड़ाने की डोर लपेटी जाती है।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					परेता					 :
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					पुं० [सं० परित=चारों ओर] १. बाँस की पतली चिपटी तीलियों का बना हुआ बेलन के आकार का एक उपकरण जिसके दोनों ओर पकड़ने के लिए दो लंबी डंडियाँ होती हैं और जिस पर जुलाहे लोग सूत या रेशम लपेट कर रखते हैं। २. उक्त की तरह का वह उपकरण जिस पर पतंग उड़ाने की डोर लपेटी जाती है।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेंद्रिय ज्ञान					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] कुछ विशिष्ट मनुष्यों में माना जानेवाला वह अतींद्रिय ज्ञान जिसकी सहायता से वे बहुत दूर के लोगों के साथ भी मानसिक संबंध स्थापित करके विचार-विनिमय आदि कर सकते हैं। (टेलिपैथी)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					परेंद्रिय ज्ञान					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] कुछ विशिष्ट मनुष्यों में माना जानेवाला वह अतींद्रिय ज्ञान जिसकी सहायता से वे बहुत दूर के लोगों के साथ भी मानसिक संबंध स्थापित करके विचार-विनिमय आदि कर सकते हैं। (टेलिपैथी)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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				| 
					परेर					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० पर=दूर, ऊँचा+हिं० एर] आकाश। आसमान।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेर					 :
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					पुं० [सं० पर=दूर, ऊँचा+हिं० एर] आकाश। आसमान।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					परेला					 :
				 | 
				
					वि० [हिं० पड़ना] १. बैल जो चलते चलते पड़ या लेट जाता हो। २. निकम्मा और सुस्त।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					परेला					 :
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					वि० [हिं० पड़ना] १. बैल जो चलते चलते पड़ या लेट जाता हो। २. निकम्मा और सुस्त।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				| 
					परेली					 :
				 | 
				
					स्त्री० [?] तांडव नृत्य का एक भेद जिसमें अंग-संचालन अधिक और अभिनय या भाव-प्रदर्शन कम होता है। इसे ‘देसी’ भी कहते हैं।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
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					परेली					 :
				 | 
				
					स्त्री० [?] तांडव नृत्य का एक भेद जिसमें अंग-संचालन अधिक और अभिनय या भाव-प्रदर्शन कम होता है। इसे ‘देसी’ भी कहते हैं।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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				| 
					परेव					 :
				 | 
				
					पुं०=परेवा।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेव					 :
				 | 
				
					पुं०=परेवा।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेवा					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० पारावत] [स्त्री० परेई] १. पंडुकी पक्षी। पेंडुकी। फाखता। २. कबूतर। ३. कोई तेज उड़नेवाला पक्षी। पुं० दे० ‘पत्रवाहक’।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेवा					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० पारावत] [स्त्री० परेई] १. पंडुकी पक्षी। पेंडुकी। फाखता। २. कबूतर। ३. कोई तेज उड़नेवाला पक्षी। पुं० दे० ‘पत्रवाहक’।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेश					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० पर-ईश, कर्म० स०] १. वह जो सब का और सबसे बढ़कर मालिक या स्वामी हो। २. परमेश्वर। ३. विष्णु।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेश					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० पर-ईश, कर्म० स०] १. वह जो सब का और सबसे बढ़कर मालिक या स्वामी हो। २. परमेश्वर। ३. विष्णु।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेशान					 :
				 | 
				
					वि० [फा०] [भाव० परेशानी] १. बिखरा हुआ। विश्रृंखल। २. कार्याधिक्य, अथवा चिंता, दुःख आदि के भार से जो बहुत अधिक व्यस्त अथवा विकल और बदहवास हो। ३. दूसरों द्वारा तंग किया अथवा सताया हुआ। जैसे—बच्चों से वह परेशान रहता था।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेशान					 :
				 | 
				
					वि० [फा०] [भाव० परेशानी] १. बिखरा हुआ। विश्रृंखल। २. कार्याधिक्य, अथवा चिंता, दुःख आदि के भार से जो बहुत अधिक व्यस्त अथवा विकल और बदहवास हो। ३. दूसरों द्वारा तंग किया अथवा सताया हुआ। जैसे—बच्चों से वह परेशान रहता था।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेशानी					 :
				 | 
				
					स्त्री० [फा०] १. परेशान होने की अवस्था या भाव। उद्वेगपूर्ण विकलता। हैरानी। २. वह बात या विषय जिससे कोई परेशान हो। काम में होनेवाला कष्ट या झंझट। क्रि० प्र०—उठाना।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेशानी					 :
				 | 
				
					स्त्री० [फा०] १. परेशान होने की अवस्था या भाव। उद्वेगपूर्ण विकलता। हैरानी। २. वह बात या विषय जिससे कोई परेशान हो। काम में होनेवाला कष्ट या झंझट। क्रि० प्र०—उठाना।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेषणी					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० प्रेषणी] वह व्यक्ति जिसके नाम रेल-पार्सल अथवा उसकी बिल्टी भेजी जाय। (कनसाइनी)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेषणी					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० प्रेषणी] वह व्यक्ति जिसके नाम रेल-पार्सल अथवा उसकी बिल्टी भेजी जाय। (कनसाइनी)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेषित					 :
				 | 
				
					भू० कृ० [सं० प्रेषित] (माल या सामग्री) जो रेल पार्सल द्वारा किसी के नाम भेजी जा चुकी हो। (कनसाइन्ड)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेषित					 :
				 | 
				
					भू० कृ० [सं० प्रेषित] (माल या सामग्री) जो रेल पार्सल द्वारा किसी के नाम भेजी जा चुकी हो। (कनसाइन्ड)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेष्टुका					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० पर√इष्+तु+क+टाप्] ऐसी गाय जो प्रायः बच्चे देती हो।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेष्टुका					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० पर√इष्+तु+क+टाप्] ऐसी गाय जो प्रायः बच्चे देती हो।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेस					 :
				 | 
				
					पुं०=परेश (परमेश्वर)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेस					 :
				 | 
				
					पुं०=परेश (परमेश्वर)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेह					 :
				 | 
				
					पुं० [?] बेसन आदि का पकाया हुआ वह घोल जिसमें पकौड़ियाँ डालने पर कढ़ी बनती है।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेह					 :
				 | 
				
					पुं० [?] बेसन आदि का पकाया हुआ वह घोल जिसमें पकौड़ियाँ डालने पर कढ़ी बनती है।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेहा					 :
				 | 
				
					पुं० [देश०] जोती और सींची हुई भूमि।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					परेहा					 :
				 | 
				
					पुं० [देश०] जोती और सींची हुई भूमि।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |