शब्द का अर्थ
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					परिसंख्या					 :
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					स्त्री० [सं० परि-सम्√ख्या (प्रसिद्ध करना) +अङ्+टाप्] १. गणना। गिनती। २. साहित्य में, एक अलंकार जिसमें किसी स्थान में होनेवाली बात या वस्तु का प्रश्न या व्यंग्यपूर्वक निषेध करके अन्य स्थान पर प्रतिष्ठापन करने का वर्णन होता है। ३. कुछ स्थानों पर होनेवाली वस्तुओं के संबंध में यह कहना कि अब वे वहाँ नहीं रह गईं केवल अमुक जगह में रह गई हैं। जैसे—रामराज्य की प्रशंसा करते हुए यह कहना कि उसमें स्त्रियों के नेत्रों को छोड़कर कुटिलता और कहीं नहीं दिखाई देती थी।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					परिसंख्या					 :
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					स्त्री० [सं० परि-सम्√ख्या (प्रसिद्ध करना) +अङ्+टाप्] १. गणना। गिनती। २. साहित्य में, एक अलंकार जिसमें किसी स्थान में होनेवाली बात या वस्तु का प्रश्न या व्यंग्यपूर्वक निषेध करके अन्य स्थान पर प्रतिष्ठापन करने का वर्णन होता है। ३. कुछ स्थानों पर होनेवाली वस्तुओं के संबंध में यह कहना कि अब वे वहाँ नहीं रह गईं केवल अमुक जगह में रह गई हैं। जैसे—रामराज्य की प्रशंसा करते हुए यह कहना कि उसमें स्त्रियों के नेत्रों को छोड़कर कुटिलता और कहीं नहीं दिखाई देती थी।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					परिसंख्यान					 :
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					पुं० [सं० परि√सम्√ख्या+ल्युट्—अन] [भू० कृ० परिसंख्यात] अनुसूची। (दे०)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					परिसंख्यान					 :
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					पुं० [सं० परि√सम्√ख्या+ल्युट्—अन] [भू० कृ० परिसंख्यात] अनुसूची। (दे०)				 | 
			
			
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