शब्द का अर्थ
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					परिशयन					 :
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					पुं० [सं० प्रा० स०] १. बहुत अधिक सोना। २. कुछ पशुओं और जीव-जंतुओं की वह निद्रा या तंद्रा वाली निष्क्रिय अवस्था जिसमें वे जाड़े के दिनों में शीत के प्रभाव से बचने के लिए बिना कुछ खाये-पीये चुप-चाप एक जगह दबे-दबाये रहते हैं। (हाइबरनेशन)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					परिशयन					 :
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					पुं० [सं० प्रा० स०] १. बहुत अधिक सोना। २. कुछ पशुओं और जीव-जंतुओं की वह निद्रा या तंद्रा वाली निष्क्रिय अवस्था जिसमें वे जाड़े के दिनों में शीत के प्रभाव से बचने के लिए बिना कुछ खाये-पीये चुप-चाप एक जगह दबे-दबाये रहते हैं। (हाइबरनेशन)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |