शब्द का अर्थ
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					परवर					 :
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					पुं०=परवल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं०=परबाल (आँख का रोग)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं०=प्रवर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) वि० [फा० पर्वर] परवरिश या पालन-पोषण करनेवाला। जैसे—गरीब परवर।				 | 
			
			
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					परवर-दिगार					 :
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					वि० [फा० पर्वरदिगार] सबका पालन करनेवाला। पुं० परमेश्वर।				 | 
			
			
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					परवरना					 :
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					अ० [सं० प्रवर्तन] चलना-फिरना।				 | 
			
			
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					परवरिश					 :
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					स्त्री० [फा० पर्वरिश] पालन-पोषण।				 | 
			
			
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					परवर्ती (तिन्)					 :
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					वि० [सं० पर√वृत् (रहना)+णिनि] १. काल-क्रम या घटना-क्रम की दृष्टि से बाद में या पीछे होनेवाला। (लेटर) २. बाद के समय का। (सबसीक्वेन्ट) ३. जो पहले एक बार या एक रूप में हो चुकने पर बाद में कुछ और रूप में हो। (सेकेन्डरी) जैसे—पौधों की परवर्त्ती वृद्धि।				 | 
			
			
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					परवर्त्त					 :
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					वि०=प्रवर्तित। उदा०—विष्णु की भक्ति परवर्त्त जग में करी।—सूर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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