शब्द का अर्थ
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					परद					 :
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					पुं०=परद (पारा)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					परदच्छिना					 :
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					स्त्री०=प्रदक्षिणा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					परदा					 :
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					पुं० [फा० पर्दः] १. कोई ऐसा कपड़ा या इसी तरह की और चीज जो आड़ या बचाव करने के लिए बीच में फैलाकर टाँगी या लटकायी जाय। पट। (कर्टेन) जैसे—खिड़की या दरवाजे का परदा। क्रि० प्र०—उठाना।—खोलना।—डालना।—हटाना। पद—ढका परदा=ऐसी स्थिति जिसमें अन्दर की त्रुटियाँ, दोष आदि बाहरवालों की जानकारी या दृष्टि से बचे रहें। ढके परदे=बिना औरों पर भेद प्रकट हुए। मुहा०—(किसी का) परदा खोलना=किसी की छिपी बात, भेद या रहस्य प्रकट करना। परदा डालना=ऐसी स्थिति उत्पन्न करना कि दोष या भेद औरों पर प्रकट न होने पावे। (किसी चीज पर) परदा पड़ना=ऐसी स्थिति उत्पन्न होना कि औरों की दृष्टि न पड़ सके। (किसी का) परदा रहना=(क) प्रतिष्ठा या मान-मर्यादा बनी रहना। (ख) भेद या रहस्य छिपा रहना। २. अभिनय, खेल-तमाशे आदि में, वह लंबा-चौड़ा कपड़ा जो दर्शकों के सामने लटका रहता और जिस पर या तो कुछ दृश्य अंकित होते हैं या प्रतिबिंबित होते हैं। यवनिका। पट। (कर्टन) जैसे—रंगमंच का परदा, चल-चित्र या सिनेमा का परदा। ३. बीच में पड़कर आड़ खड़ा करनेवाली कोई चीज या बात। ओट। व्यवधान। ४. कोई ऐसी चीज या बात जो गति, दृष्टि आदि के मार्ग में बाधक हो। जैसे—उस समय हमारी बुद्धि पर न जाने कैसा परदा पड़ गया था कि मैंने तुम्हारी बात नहीं मानी। ५. मुसलमानों और उनकी देखा-देखी हिंदुओं में भी प्रचलित वह प्रथा जिसके अनुसार भले घर की स्त्रियाँ आड़ में रहती हैं और पर-पुरुषों के सामने नहीं होतीं। पद—परदा-नशीन। (दे०) क्रि० प्र०—करना।—रखना।—होना। मुहा०—परदा लगाना= स्त्रियों का ऐसी स्थिति में आना या होना कि पर-पुरुषों की दृष्टि उन पर न पड़ सके। जैसे—जब से वह ब्याही गई है, तब से हमसे भी परदा करने लगी है। परदे में बैठना=किसी स्त्री का पर-पुरुषों की दृष्टि से ओझल होकर घर के अन्दर रहना। जैसे—पहले तो वह वेश्या थी पर बाद में एक नवाब के यहाँ परदे में बैठ गई। परदे में रहना=घर के अन्दर सब लोगों की दृष्टि से बचकर रहना। ६. मकान आदि की कोई दीवार। जैसे—इस मकान का पूरबवाला परदा बहुत कमजोर है या गिरने को है। ६. किसी प्रकार का तल। या परत। तह। जैसे—(क) आसमान के सात परदे कहे गये हैं। (ख) मैंने दुनिया के परदे पर ऐसी बात नहीं देखी। ८. शरीर के किसी अंग की कोई ऐसी झिल्ली या परत जो किसी तरह की आड़ या व्यवधान करती हो। जैसे—आँख का परदा, कान का परदा। ९. अँगरखे कोट, शेरवानी आदि की वह परत जो आगे की ओर और छाती पर रहती है। १॰. बीन, सितार, हारमोनियम आदि बाजों में स्वरों के विभाजक स्थानों की सूचक किसी प्रकार की रचना। ११. फारसी संगीत में बारह प्रकार के रागों में हर राग। १२. नाव की पतवार।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					परदा-दार					 :
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					वि०=परदेदार।				 | 
			
			
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					परदा-नशीन					 :
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					वि० स्त्री० [फा० पर्दःनशीं] १. (स्त्री) जो बड़ों तथा पर-पुरुषों से परदा करती हो। २. लाक्षणिक अर्थ में, जो घर में ही रहे, बाहर न निकले।				 | 
			
			
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					परदा-प्रथा					 :
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					स्त्री० [हिं०+सं०] कुछ एशियाई देशों और समाजों में प्रचलित वह प्रथा जिसके अनुसार स्त्रियों के घर के अन्दर, परदे में रखा जाता है और पर-पुरुषों के सामने नहीं होने दिया जाता।				 | 
			
			
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					परदाख्त					 :
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					स्त्री० [फा० पर्दाख्त] १. देख-भाल। २. संरक्षण। ३. पालन-पोषण।				 | 
			
			
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					परदाज					 :
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					पुं० [फा० पर्दाज़] १. शौर्य। वीरता। २. ढंग। तरीका। ३. सजावट। ४. कामों में लगे रहने का भाव। ५. चित्र में अंकित की जानेवाली महीन रेखाएँ।				 | 
			
			
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					परदापोश					 :
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					वि० [फा० पर्दःपोश] [भाव० परदापोशी] दूसरों के अवगुणों, दोषों आदि को छिपानेवाला।				 | 
			
			
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					परदुम्न					 :
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					पुं०=प्रद्युम्न।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					परदेदार					 :
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					वि० [हिं० परदा+फा० दार] १. जिसके आगे, जिसमें या जिसपर किसी प्रकार का परदा लगा हो। जैसे—परदेदार एक्कां या बहली। २. जो घर के अन्दर परदे में रहती हो, और पर-पुरुषों के सामने न होती हो।				 | 
			
			
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					परदेदारी					 :
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					स्त्री० [फा० पर्दःदारी] १. परदेदार होने का अवस्था या भाव। २. स्त्रियों के घर के अन्दर रहने और पर-पुरुषों के सामने न आने की अवस्था या भाव। ३. वह स्थिति जिसमें किसी से कोई बात छिपाई जाती हो। उदा०—कुछ तो है जिसकी परदेदारी है।—कोई शायर।				 | 
			
			
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					परदेश					 :
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					पुं० [ष० त०] १. अपने देश से भिन्न दूसरा देश। २. वह देश जहाँ कोई शक्ति अपना देश छोड़कर आया हो। विदेश।				 | 
			
			
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					परदेशी (शिन्)					 :
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					वि० [सं० परदेश+इनि] परदेश-संबंधी। पुं० वह व्यक्ति जो अपना देश छोड़कर किसी दूसरे देश में आया या रहता हो।				 | 
			
			
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					परदेस					 :
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					पुं०=परदेश।				 | 
			
			
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					परदेसिया					 :
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					पुं० [हिं० परदेसी] पूरब में गाये जानेवाले एक प्रकार के गीत जिनमें परदेश गये हुए पति के संबंध में उसकी प्रियतमा के उद्गारों का उल्लेख होता है और जिनके प्रत्येक चरण के अंत में ‘परदेसिया’ शब्द होता है। (बिदेसिया के अनुकरण पर) जैसे—घरी राति गइसी पहर राति गइसी, ते दुअरा करेला ठाढ़ भोर परदेसिया।				 | 
			
			
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					परदेसी					 :
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					वि० पुं०=परदेशी।				 | 
			
			
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					परदोस					 :
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					पुं०=प्रदोष।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					परद्दा					 :
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					पुं०=परदा।				 | 
			
			
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