शब्द का अर्थ
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					पंडा					 :
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					पुं० [सं० पंडित] [स्त्री० पंडाइन] १. वह ब्राह्मण जो तीर्थ यात्रियों को मंदिरों आदि के दर्शन कराता तथा उनसे प्राप्त होनेवाले धन से अपनी जीविका चलाता हो। २. रसोई बनानेवाला ब्राह्मण। ३. रहस्य सम्प्रदाय में, बुद्धि।				 | 
			
			
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					पँडाइन					 :
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					स्त्री० हिं० ‘पाँडे’ का स्त्री०।				 | 
			
			
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					पंडाइन					 :
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					स्त्री० हिं० ‘पंडा’ का स्त्री०।				 | 
			
			
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					पंडापूर्व					 :
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					पुं० [सं० पंड-अपूर्व, सुप् सुपा० स०] धर्म और अधर्म से उत्पन्न वह अदृष्ट जो कर्म के अनुसार फल न दे सकता हो अथवा ऐसे फल की प्राप्ति में बाधक हो। (मीमांसा)				 | 
			
			
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					पंडाल					 :
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					पुं० [तमिल पेंडल] कनातों आदि से घिरा और तंबुओं से छाया हुआ वह बड़ा मंडप, जिसके नीचे संस्थाओं, सभाओं आदि के अधिवेशन होते हैं।				 | 
			
			
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