शब्द का अर्थ
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					निरूप					 :
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					वि० [हिं० नि+सं० रूप] १. जिसका कोई रूप न हो। २. कुरूप। बद-शकल। भद्दा। पुं० [सं०] १. वायु। हवा। २. देवता। ३. आकाश।				 | 
			
			
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					निरूपक					 :
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					मनं वि० [सं० नि√रूप् (विचार करना)+णिच्+ण्वुल्–अक] किसी बात या विषय का निरूपण करनेवाला।				 | 
			
			
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					निरूपण					 :
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					पुं० [सं० नि√रूप्+णिच्+ल्युट्–अन] [भू० कृ० निरूपित, वि० निरूप्य] १. छान-बीन तथा सोच-विचार कर किसी बात या विषय का विवेचन करना। २. अपना मत दूसरों को समझाते हुए उनके सम्मुख रखना। ३. निर्णय। ४. निदर्शन।				 | 
			
			
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					निरूपना					 :
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					अ० [सं० निरूपण] १. निरूपण करना। २. निर्णय या निश्चय करना।				 | 
			
			
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					निरूपम					 :
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					वि०=निरुपम।				 | 
			
			
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					निरूपित					 :
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					भू० कृ० [सं० नि√रूप्+णिच्+क्त] (बात या विषय) जिसका निरूपण हो चुका हो।				 | 
			
			
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					निरूपिति					 :
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					स्त्री० [सं० नि√रूप्+णिच+क्तिन्] निरूपण।				 | 
			
			
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					निरूप्य					 :
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					वि० [सं० नि√रूप्+णिच्+यत्] जिसका निरूपण होने को हो या किया जाना चाहिए।				 | 
			
			
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