शब्द का अर्थ
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					नारायण					 :
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					पुं० [सं० नार-अयन, ब० स०] १. ईश्वर। परमात्मा। भगवान। २. विष्णु। ३. कृष्ण यजुर्वेद के अंतर्गत एक उपनिषद्। ४. एक प्रकार का प्राचीन अस्त्र। ५. ‘अ’ अक्षर की संज्ञा। ६. पूस का महीना। पौष मास।				 | 
			
			
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					नारायण तैल					 :
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					पुं० [सं०] आयुर्वेद में एक तरह का तेल जो मालिश करने के काम आता है।				 | 
			
			
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					नारायण-क्षेत्र					 :
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					पुं० [ष० त०] गंगा के प्रवाह से चार हाथ तक की भूमि।				 | 
			
			
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					नारायण-प्रिय					 :
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					पुं० [ष० त० या ब० स०] १. महादेव। शिव। २. पाँचों पांडवों में के सहदेव। ३. पीला चंदन।				 | 
			
			
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					नारायण-बलि					 :
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					स्त्री० [मध्य० स० या च० त०] आत्म-हत्या आदि करके मरे हुए व्यक्ति की आत्मा की शांति तथा शुद्धि के लिए उसके दाह-संस्कार से पहले प्रायश्चित्त के रूप में ब्रह्मा, विष्णु, शिव, यम और प्रेत के उद्देश्य से दी जानेवाली बलि।				 | 
			
			
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					नारायणी					 :
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					स्त्री० [सं० नारायण+अण्–ङीप्] १. दुर्गा। २. लक्ष्मी। ३. गंगा। ४. मुद्ल ऋषि की पत्नी का नाम। ५. श्रीकृष्ण की वह प्रसिद्ध सेना जो उन्होंने महाभारत के युद्ध में दुर्योधन को उसकी सहायता के लिए दी थी। ६. शतावर। ७. संगीत में, खम्माच ठाठ की एक रागिनी। वि०=नारायणी। जैसे–नारायणी माया।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					नारायणीय					 :
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					वि० [सं० नारायण+छ–ईय] नारायण-संबंधी। नारायण का। पुं० महाभारत के शांति-पर्व का एक उपाख्यान जिसमें नारद और नारायण ऋषि की कथाएँ हैं।				 | 
			
			
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