शब्द का अर्थ
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					नगर					 :
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					पुं० [सं० नग+र] १.मनुष्यों की वह बस्ती जो गाँवों,कस्बों आदि की तुलना में बहुत बड़ी हो। शहर। २.उक्त बस्ती का कोई मुहल्ला जो एक स्वतंत्र बस्ती के रूप में हो। जैसे—कमलानगर, नेहरूनगर, राजेन्द्रनगर।				 | 
			
			
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					नगर-कीर्तन					 :
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					पुं० [सं० त०] नगर की गलियों,सड़कों आदि में घूम-घूमकर किया जानेवाला सामूहिक कीर्तन।				 | 
			
			
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					नगर-कोट					 :
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					पुं० दे० ‘परकोटा’।				 | 
			
			
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					नगर-नायिका					 :
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					स्त्री० [मध्य० स०] वेश्या। रंडी।				 | 
			
			
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					नगर-नारी					 :
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					स्त्री० [मध्य० स०] रंडी। वेश्या।				 | 
			
			
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					नगर-निगम					 :
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					पुं० [ष० त०] दे० ‘नगर महापालिका।’				 | 
			
			
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					नगर-पालिका					 :
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					स्त्री० [सं०] आधुनिक नगर व्यवस्था में नगर निवासियों के निर्वाचित प्रतिनिधियों की वह संस्था जो सारे नगर के यातायात, स्वास्थ्य जल, नल रोशनी आदि का प्रबन्ध करने के लिए बनाई जाती है। (म्यूनिस्पैलिटी)				 | 
			
			
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					नगर-पिता (तृ)					 :
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					पुं० =नगर-प्रमुख।				 | 
			
			
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					नगर-प्रमुख					 :
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					पुं० [ष० त०] नगरपालिका या नगर-महापालिका का प्रधान प्रशासनिक अधिकारी। (मेयर)				 | 
			
			
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					नगर-महापालिका					 :
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					स्त्री० [सं०] किसी बड़े नगर की स्वायत्त संस्था जिसे नगरापलिका को अपेक्षा कुछ अधिक अधिकार प्राप्त होते हैं। (कारपोरेशन)।				 | 
			
			
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					नगर-मार्ग					 :
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					पुं० [ष० त०] नगर का सबसे बड़ा तथा चौड़ा बाजार।				 | 
			
			
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					नगर-मुस्ता					 :
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					स्त्री० [सं०] नागरमोथा।				 | 
			
			
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					नगर-विवाद					 :
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					पुं० [सं० त०] घर-गृहस्थी और संसार के झगड़े-बखेड़े।				 | 
			
			
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					नगर-वृद्ध					 :
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					पुं० [सं० त] आधुनिक भारत में किसी नगरमहापालिका या नगरनिगम का वह अधिकारी जिसका दरजा नगर प्रमुख से कुछ छोटा और उसके चुने हुए सदस्यों से कुछ बड़ा होता है। (एल्डरमैन)				 | 
			
			
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					नगर-सन्निवेश					 :
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					पुं० [ष० त०] नये नगर बनाने और उसके मार्ग भवन विभाग आदि निरूपित करने की कला या विद्या। (सिटी प्लैनिंग)				 | 
			
			
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					नगर-सेठ					 :
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					पुं० [सं० +हिं०] नगर का सबसे बड़ा महाजन,सेठ या संपन्न व्यक्ति।				 | 
			
			
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					नगरघात					 :
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					पुं० [सं० नगर√हन् (नष्ट करना)+अण्] हाथी।				 | 
			
			
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					नगरतीर्थ					 :
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					पुं० [सं०] गुजरात प्रदेश में स्थित एक प्राचीन तीर्थ जहाँ किसी समय शिव का निवास माना जाता था।				 | 
			
			
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					नगरपाल					 :
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					पुं० [सं० नगर√पाल् (रक्षा)+णिनि+अण्] १.प्राचीन भारत में वह अधिकारी जिसका कर्त्तव्य नगर की शांति और सुरक्षा की देख-रेख करना होता था। २.आधुनिक भारत में किसी नगर की नगरपालिका का चुना हुआ सदस्य।				 | 
			
			
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					नगरमर्दी (र्दिन्)					 :
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					पुं० [सं० नगर√मृद् (कुचलना)+णिच्+णिनि] मतवाला हाथी।				 | 
			
			
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					नगरवा					 :
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					पुं० [?] ईख की एक प्रकार की बोआई जो मध्यप्रदेश के उन प्रान्तों में होती है जहाँ की मिट्टी काली या करैली होती है। इसमें खेतों को सींचने की आवश्यकता नहीं होती बल्कि बरसात के बाद उन ईख के अंकुर फूटते हैं तब जमीन पर इसलिए पत्तियाँ बिछा देते हैं कि उसका पानी सूख न जाय। पलवार।				 | 
			
			
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					नगरवासी (सिन्)					 :
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					पुं० [सं० नगर√वस् (बसना)+णिनि] १.नगर या शहर में रहनेवाला। पुरवासी। २.नागरिक।				 | 
			
			
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					नगरहा					 :
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					वि० [हिं० नगर+हा (प्रत्य०)] शहर में रहने या होनेवाला। पुं० नगर का निवासी। नागरिक। शहरी।				 | 
			
			
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					नगरहार					 :
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					पुं० [सं०] उत्तर-पश्चिमी भारत के एक प्राचीन कपिश राज्य के अंतर्गत की एक नगरी जिसका वर्णन ह्वेन-सांग ने किया है।				 | 
			
			
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					नगराई					 :
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					स्त्री० [हिं० नगर+आई (प्रत्य०)१.नागरिकता। शहरातीपन। २.चतुराई। चालाकी।				 | 
			
			
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					नगराधिप					 :
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					पुं० [नगर-अधिप,ष० त०] नगर का प्रधान शासक। प्रशासक।				 | 
			
			
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					नगराध्यक्ष					 :
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					पुं० [नगर-अध्यक्ष,ष० त०] नगर का प्रधान शासक। प्रशासक।				 | 
			
			
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					नगरी					 :
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					स्त्री० [सं० नगर+ङीष्] छोटा नगर या शहर। पुं० [सं० नगरिन्] नगर में होने या रहनेवाला व्यक्ति। नागरिक।				 | 
			
			
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					नगरी-काक					 :
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					पुं० [ष० त०] बक।				 | 
			
			
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					नगरीय					 :
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					वि० [सं० नगर+छ-ईय] १.नगर संबंधी। २.नगर में बनने या होनेवाला।				 | 
			
			
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					नगरोत्था					 :
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					स्त्री० [नगर-उत्थान, ब० स०] नागरमोथा।				 | 
			
			
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					नगरोपांत					 :
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					पुं० [नगर-उपांत, ष० त०] नगर के आसपास का क्षेत्र या स्थान। उप-नगर। (सबर्ब)				 | 
			
			
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					नगरौका (कस्)					 :
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					पुं० [नगर-ओकस,ब० स०] नागरिक। नगरवासी।				 | 
			
			
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					नगरौषधि					 :
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					स्त्री० [नगर-ओषधि,मध्य० स०] केला।				 | 
			
			
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