शब्द का अर्थ
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द्रव :
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वि० [सं०√द्रु+अप्] १. पानी की तरह पतला। तरल। २. आर्द्र। गीला। तर। ३. पिघला हुआ। पुं० १. द्रव या तरल पदार्थ का चूना, बहना या रसना। द्रवण। २. आसव। ३. रस। ४. बहाव। ५. दौड़ने या भागने की क्रिया। पलायन। ६. तेजी। वेग। ७. हँसी-ठट्ठा। परिहास। ८. दे० ‘द्रवत्त्व’। |
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द्रव-रसा :
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स्त्री० [सं० ब० स०, टाप्] १. लाख। लाह। २. गोंद। |
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द्रवक :
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वि० [सं०√द्रु+ण्वुल-अक] १. भागनेवाला। भगेड़ू। भग्गू। २. चूने, बहने या रसनेवाला। ३. द्रवित करने या होनेवाला। |
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द्रवज :
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वि० [सं० द्रव√जन् (उत्पत्ति)+ड] द्रव पदार्थ से निकला या बना हुआ। पुं० किसी प्रकार के रस से बनी हुई वस्तु। जैसे—गुड़, चीनी आदि। |
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द्रवड़ना :
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अ०=दौड़ना (राज०)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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द्रवण :
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पुं० [सं०√द्रु+ल्युट्-अन] [वि० द्रवित्] १. गमन। २. दौड़। ३. रसना या बहना। क्षरण। ४. पिघलना या पसीजना। ५. चित्त के द्रवित या दयापूर्ण होने की वृत्ति। ६. कामदेव का एक वाण जो हृदय को द्रवित करनेवाला कहा गया है। उदा०—परठि द्रविण सोखण सरपंच।—प्रिथीराज। |
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द्रवण-शील :
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वि० [ब० स०] [भाव० द्रवणशीलता] १. पिघलनेवाला। २. (व्यक्ति) जिसके हृदय में दूसरों का कष्ट देखकर दया उत्पन्न होती हो और फलतः जो उनके प्रति कठोर व्यवहार नहीं करता और दूसरों को वैसा करने से रोकता है। पसीजनेवाला। |
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द्रवणांक :
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पुं० [सं० द्रवण-अंक ष० त०] ताप का वह मान जिस पर कोई ठोस चीज पिघलने लगती है। (मेल्टिंग प्वाइंट)। विशेष—विभिन्न वस्तुओं का द्रवणांक विभिन्न होता है। |
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द्रवता :
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स्त्री० [सं० द्रव+तल्-टाप्] द्रवत्व। |
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द्रवंती :
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स्त्री० [सं०√द्रु (गति)+शत्-ङीप्] १. नदी। २. मूसाकानी (वनस्पति)। |
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द्रवत्पत्री :
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स्त्री० [सं० ब० स०, ङीष्] चँगोनी नामक पौधा। |
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द्रवत्व :
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पुं० [सं० द्रव+त्व] द्रव होने की अवस्था, गुण या भाव। |
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द्रवना :
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अ० [सं० द्रवण] १. द्रवित होना अर्थात् पिघलना। २. प्रवाहित होना। बहना। ३. हृदय में किसी के प्रति दया उपजना। दयार्द्र होना। |
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द्रवाधार :
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पुं० [सं० द्रव-आधार ष० त०] १. छोटा पात्र। २. अंजलि। ३. चुल्लू। |
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द्रविड़ :
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पुं० [सं० द्रामिल ?] १. दक्षिण भारत के पूर्वी तट पर स्थित एक विस्तृत प्रदेश का पुराना नाम। आधुनिक आंध्र और मदरास इसी प्रदेश में है। २. उक्त देश का निवासी। ३. ब्राह्मणों का एक विभाग जिसके अंतर्गत आँध्र, कर्णाटक, गुर्जर, द्रविड़ और महाराष्ट्र ये पाँच वर्ग हैं। वि० द्रविड़ प्रदेश अथवा उसके निवासियों से संबंध रखनेवाला। द्राविड़। |
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द्रविड़-नाशन :
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पुं० [ष० त०] सहिजन का पेड़। शोभांजन। |
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द्रविड़-प्रद :
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पुं० [ष० त०] विष्णु। |
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द्रविड़ी :
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स्त्री० [सं० द्रविड़+ङीष्] एक प्रकार की रागिनी। |
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द्रविण :
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पुं० [सं०√द्रु+इनन्] १. धन। द्रव्य। २. सोना। स्वर्ण। ३. पराक्रम। पौरुष। ४. पुराणानुसार कुश द्वीप का एक पर्वत। ५. क्रौंच द्वीप का एक वर्ष या देश। ६. राजा पृथु का एक पुत्र। पुं०=द्रवण (अस्त्र)। |
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द्रविणाधिपति :
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पुं० [द्रविड़-अधिपति, ष० त०] कुबेर। |
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द्रविणोदा (स्) :
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पुं० [सं०] १. वैदिक देवता। २. अग्नि। |
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द्रवीभवन :
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पुं० [सं०] [भू० कृ० द्रवीभूत] १. किसी घन पदार्थ का द्रव रूप धारण करना। २. भाप से पानी बनने की क्रिया जिसमें या तो भाप का घनत्व या ताप-क्रम क्रम हो जाता है। |
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द्रवीभूत :
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भू० कृ० [सं० द्रव+च्वि√भू+क्त] १. द्रव या तरल रूप में आया या लाया हआ। २. पिघला या पिघलाया हुआ। ३. (व्यक्ति) जिसके हृदय में दया उत्पन्न हुई हो। ४. दया से विह्रल (हृदय)। |
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द्रव्य :
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वि० [सं०√द्रु+यत् नि० सिद्धि] १. द्रुम संबंधी। पेड़ का। २. पेड़ से निकला हुआ। ३. पेड़ की तरह का। पुं० १. चीज। पदार्थ। वस्तु। २. दार्शनिक क्षेत्र में वह पदार्थ जिसमें किसी प्रकार की क्रिया या गुण अथवा दोनों हों और जो किसी का समवाय कारण हो अर्थात् जिससे कोई चीज बनती हो। विशेष—वैशेषिकों ने जो सात पदार्थ माने हैं, उनमें से द्रव्य भी एक है। रामानुजाचार्य ने इसे तीन प्रभेदों में से एक प्रभेद माना है; और इसके ये छः भेद कहे है—ईश्वर, जीव, नित्य, विभूति, ज्ञान, प्रकृति और काल। ३. लौकिक व्यवहार में, वह उपादान या सामग्री जिससे और चीजें बनती हैं। सामान। जैसे—चाँदी, ताँबा, मिट्टी, रूई आदि वे द्रव्य हैं जिनसे गहने, कपड़े, बरतन आदि बनते हैं। ४. धन-दौलत, रुपए आदि। जैसे—उन्होंने व्यापार में बहुत-सा द्रव्य कमाया था। ५. पीतल। ६. जड़ी-बूटी अथवा ओषधि। ७. मद्य। शराब। ८. गोंद। ९. लेप। १॰. लाख। लाक्षा। |
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द्रव्य-पति :
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पुं० [ष० त०] १. बहुत से द्रव्यों या पदार्थों का स्वामी। २. धन का मालिक। धनवान। ३. आकाशस्थ राशियाँ, जो विभिन्न पदार्थों की स्वामी मानी गई है। (फलित ज्योतिष)। |
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द्रव्य-वन :
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पुं० [मध्य० स०] लकड़ियों के लिए रक्षित वन। (कौ०)। |
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द्रव्य-सार :
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पुं० [ष० त०] बहुमूल्य पदार्थ। उपयोगी पदार्थ। |
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द्रव्यक :
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वि० [सं० द्रव्य+कन्] द्रव्य या कोई पदार्थ उठाने या वहन करनेवाला। |
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द्रव्यत्व :
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पुं० [सं० द्रव्य+त्व] ‘द्रव्य’ होने की अवस्था, गुण या भाव। द्रव्यता। |
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द्रव्यमय :
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वि० [सं० द्रव्य+मयट्] १. द्रव्य अर्थात् पदार्थ से युक्त। २. पदार्थ संबंधी। ३. धन से परिपूर्ण। संपत्तिवान्। |
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द्रव्यवन-भोग :
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पुं० [ष० त०] वह जागीर या उपनिवेश जिसमें लकड़ी तथा अन्य वन्य पदार्थों की अधिकता हो। (कौ०)। |
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द्रव्यवान (वत्) :
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वि० [सं० द्रव्य+मतुप्] [स्त्री० द्रव्यवती] १. द्रव्य अर्थात् पदार्थ से युक्त। २. धनवान्। सम्पन्न। |
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द्रव्यांतर :
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पुं० [द्रव्य-अंतर मयू० स०] प्रस्तुत द्रव्य से भिन्न कोई और द्रव्य। |
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द्रव्याधीश :
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पुं० [द्रव्य-अधीश] १. धन के स्वामी, कुबेर। २. बहुत बड़ा धनवान्। |
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द्रव्यार्जन :
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पुं० [द्रव्य-अर्जन, ष० त०] धन अर्जित करने की क्रिया या भाव। |
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द्रव्याश्रित :
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वि० [द्रव्य-आश्रित ष० त०] द्रव्य में वर्तमान या विद्यमान रहनेवाला। |
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