शब्द का अर्थ
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दुर्लभ :
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वि० [सं० दुर्√लभ् (पाना)+खल्] १. जो कठिनता से प्राप्त होता हो। दुष्प्राप्य। २. जो बहुत कम मात्रा में, कभी-कभी अथवा कहीं-कहीं मिलता हो। (रेयर) ३. जिसके जोड़ या तरह का दूसरा जल्दी मिलता न हो। बहुत बढ़िया और अनोखा। ४. प्रिय। पुं० १. कचूर। २. विष्णु का एक नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्लभ-मुद्रा :
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स्त्री० [सं० दुर्लभा-मुद्रा कर्म० स०] आधुनिक अर्थशास्त्र में वह विदेशी मुद्रा जो कठिनाई से प्राप्त होती हो। विशेष—जब एक देश दूसरे देश को अधिक मूल्य का सामान निर्यात करता है और उस देश से कम मूल्य का सामान आयात करता है तो उसके लिए तो दूसरे देश की मुद्रा सुलभ रहती है (क्योंकि इसका उधर पावना होता है) परंतु दूसरे देश के लिए उस देश की मुद्रा दुर्लभ होती है (क्योंकि उसे पहले ही देना अधिक होता है)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |