शब्द का अर्थ
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					दीन					 :
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					वि० [सं०√दी (क्षय होना)+क्त नत्व] [भाव० दीनता] १. जो बहुत ही दयनीय तथा हीन दशा में हो २. गरीब। दरिद्र। ३. जो बहुत दुःखी या संतप्त हो। ४. जिसमें उत्साह, प्रसन्नता आदि का अभाव हो। उदास। खिन्न। ५. जो दुःख, भय आदि के कारण बहुत नम्र हो रहा हो। पुं० तगर का फूल। पुं० [अ०] धार्मिक मत या संप्रदाय। धर्म। मजहब। पद—दीन-दुनिया=धार्मिक विश्वास के कारण मिलनेवाला परम पद और लोक या संसार। जैसे—दीन-दुनिया दोनों से गये (रहित हुए)। मुहावरा—दीन दुनिया दोनों से जाना=न इस लोक के काम का रह जाना और न पर-लोक सुधार सकना।				 | 
			
			
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					दीन-इलाही					 :
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					पुं० [अ०] मुगल सम्राट अकबर का चलाया हुआ एक धार्मिक संप्रदाय जो अधिक समय तक न चल सका था।				 | 
			
			
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					दीन-दयालु					 :
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					वि० [सं० स० त०] दीनों पर दया करनेवाला। पुं० ईश्वर। परमात्मा।				 | 
			
			
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					दीन-बंधु					 :
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					वि० [सं० ष० त०] दीनों और दुःखियों का सहायक। पुं० ईश्वर। परमात्मा।				 | 
			
			
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					दीन-वास					 :
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					पुं० [सं० ] बहुत ही गरीबों में या गरीबों की तरह रहकर दिन बिताना।				 | 
			
			
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					दीनक					 :
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					वि० [सं० दीन+क (स्वार्थे)] दीन।				 | 
			
			
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					दीनता					 :
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					स्त्री० [सं० दीन+तल्—टाप्] १. दीन होने की अवस्था या भाव। २. कातरता। ३. उदासीनता। खिन्नता। ४. नम्रता। विनय।				 | 
			
			
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					दीनताई					 :
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					स्त्री०=दीनता।				 | 
			
			
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					दीनत्व					 :
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					पुं० [सं० दीन+त्व] दीनता।				 | 
			
			
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					दीनदयाल					 :
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					वि०=दीनदयालु।				 | 
			
			
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					दीनदार					 :
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					वि० [अ० दीन+फा० दार] [भाव० दीनदारी] जिसे अपने धर्म पर पूर्ण विश्वास हो, और जो उसके नियमों, शिक्षाओं आदि का ठीक तरह से पालन करता हो। धार्मिक। जैसे—दीनदार मुसलमान।				 | 
			
			
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					दीनदारी					 :
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					स्त्री० [फा०] दीनदार होने की अवस्था या भाव। धार्मिकता।				 | 
			
			
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					दीनदुनी					 :
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					स्त्री०=दीन-दुनिया (दे० ‘दीन’ के अन्तर्गत)				 | 
			
			
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					दीना					 :
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					स्त्री० [सं० दीन+टाप्] मूषिका। चुहिया।				 | 
			
			
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					दीनानाथ					 :
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					पुं० [सं० दीन-नाथ ष० त० दीर्घ] १. वह जो दीनों का स्वामी या रक्षक हो। दुखियों का पालक और सहायक। २. ईश्वर। परमात्मा।				 | 
			
			
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					दीनार					 :
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					पुं० [सं०√दी (क्षय करना)+आरक् (नुट्)] १. सोने का गहना। २. सोने का एक पुराना सिक्का जो ईरान में प्रचलित था। ३. एक निष्क की तौल।				 | 
			
			
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					दीनारी					 :
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					पुं० [सं० दीनार] लोहारों का ठप्पा।				 | 
			
			
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