शब्द का अर्थ
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त्रैलोक्य :
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पुं० [सं० त्रिलोकी+ष्यञ्] १. स्वर्ग, मर्त्य और पाताल तीनों लोक। २. इक्कीस मात्राओं के छंदो की संज्ञा। |
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त्रैलोक्य-चिंतामणि :
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पुं० [सं० स० त०] वैद्यक में एक प्रकार का रस, जो (क) सोने, चाँदी और अभ्रक के योग से अथवा (ख) मोती, सोने और हीरे के योग से बनता है। |
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त्रैलोक्य-विजया :
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स्त्री० [सं० ब० स०] भाँग। |
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त्रैलोक्य-सुंदर :
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पुं० [सं० ब० स०] पारे, अभ्रक, लोहे, त्रिफला आदि के योग से बननेवाला एक तरह का रस। (वैद्यक) |
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त्रैलोक्य-सुंदरी :
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स्त्री० [सं० स० त०] दुर्गा या देवी का एक रूप। |
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