शब्द का अर्थ
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					तूत					 :
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					पुं० [सं० नूद] मँझोले आकार का एक प्रकार का पेड़ जिसके पत्ते पान की तरह तथा अनीदार होते हैं। २. उक्त पेड़ की मीठी फलियाँ जो फल के रूप मे खाई जाती है। शहतूत।				 | 
			
			
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					तूतक					 :
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					पुं० [सं०=तुत्थ, पृषो० सिद्धि] तूतिया। नीलाथोथा।				 | 
			
			
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					तूतिया					 :
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					पुं० [सं० तुत्थ] ताँबे का क्षार या लवण जो कुछ नीले रंग का होता है और जिसे वैद्यक में ताँबे की उप-धातु कहा गया है। यह खानों में प्राकृतिक रूप में भी मिलता है। नीलाथोथा। वैद्यक में यह वमनकारक और दस्तावर माना जाता है तथा रँगाई के काम में भी आता है।				 | 
			
			
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					तूती					 :
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					स्त्री० [फा०] १. छोटी जाति का एक प्रकार का तोता जिसकी चोंच पीली, गरदन बैगनी और पर हरे होते हैं। २. कनेरी नाम की छोटी सुन्दर चिड़िया। ३. मटमैले रंग की एक प्रकार की छोटी चिड़िया। जो बहुत मधुर स्वर में बोलती है। ४. बाँसुरी या शहनाई की तरह का एक प्रकार का पतला लंबा बाजा। विशेष–उर्दूवाले यह शब्द उक्त अर्थों में प्रायः पुलिंग बोलते हैं। यथा-जहाँ में है शरारत पेशा जितने। उन्हीं का आज तूती बोलती है।–कोई शायर। कहा०–नक्कार खाने में तूती की आवाज कौन सुनता है=(क) बहुत भीड़-भाड़ या शोरगुल में कही हुई किसी साधारण आदमी की बात कोई नहीं सुनता। (ख) बड़े लोगों के सामने छोटों की कुछ नहीं चलती। ५. मिट्टी की एक प्रकार की छोटी टोंटीदार धरिया या पुरवा जिससे छोटे-बच्चे पानी पीते हैं।				 | 
			
			
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