शब्द का अर्थ
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					तिला					 :
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					पुं० [हिं० तेल] एक तरह का तेल जिसे लिगेंद्रिय पर मलने से पुंसत्व शक्ति बढती है। पुं०=तिल्ला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					तिलाक					 :
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					पुं०=तलाक।				 | 
			
			
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					तिलांकित दल					 :
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					पुं० [सं० तिल-अंकित, ब० स०] तैलकंद।				 | 
			
			
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					तिलांजली					 :
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					स्त्री० [सं० तिल-अंजली, मध्य० स०] १. किसी के मरने पर उसके संबंधियों द्वारा किया जानेवाला वह कृत्य जिसमें वे हाथ में तिल और जल लेकर उसके नाम से छोड़ते हैं। २. सदा के लिए किसी का संग या साथ छोड़ना। जैसे–लड़का घरवालों को तिलांजली देकर चला गया। क्रि० प्र०–देना।				 | 
			
			
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					तिलादानी					 :
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					स्त्री०=तिलदानी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					तिलान्न					 :
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					पुं० [सं० तिल-अन्न, मध्य० स०] तिल की खिचड़ी।				 | 
			
			
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					तिलापत्या					 :
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					स्त्री० [सं० तिल-अपत्य, ब० स० टाप्] काला जीरा।				 | 
			
			
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					तिलांबु					 :
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					पुं० [सं० तिल-अंबु, मध्य० स]=तिलांजली।				 | 
			
			
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					तिलाम					 :
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					पुं० [अ० गुलाम का अनु] गुलाम का गुलाम। दासानुदास।				 | 
			
			
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					तिलावा					 :
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					पुं० [हिं० तीन+लावना, लाना] १. वह बड़ा कुआँ जिस पर एक साथ तीन पुरवट चल सकें। २. नगर-रक्षकों, पुलिस आदि का रात के समय बस्ती में लगनेवाला गश्त।				 | 
			
			
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