शब्द का अर्थ
|
तिरस्कर :
|
वि० [सं० तिरस्√कृ (करना)+ट] १. जो दूसरे से अधिक अच्छा या बढ़ा-चढ़ा हो। २. ढाँकनेवाला। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तिरस्करिणी :
|
स्त्री० [सं० तिरस्करिन्+ङीप्] १. ओट। आड़ २. आड़ करने का परदा। चिक। चिलमन। ३. एक प्रकार की प्राचीन विद्या जिसकी सहायता से मनुष्य सब की दृष्टि से अदृश्य हो जाता था। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तिरस्करी(रिन्) :
|
पुं० [सं०तिरस्√कृ+णिनि] परदा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |