शब्द का अर्थ
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					डस					 :
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					स्त्री० [देश०] १. एक प्रकार की शराब। २. वह डोरी जिसमें तराजू के पलड़े बँधे रहते हैं। ३. कपड़े के थान का वह छोर जिसमें ताने-बाने के पूरे तागे नहीं कसे रहते। छीर। दसी। स्त्री=डसन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					डसन					 :
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					स्त्री० [हिं० डसना] १. डसने की क्रिया या भाव। २. डसने या डंक मारने का ढंग।				 | 
			
			
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					डसना					 :
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					स० [सं० दंशन] १. किसी जहरीले कीड़े का किसी को इस प्रकार काटना कि उसके शरीर में जहर का प्रवेश हो जाय। जैसे–साँप का डसना। २. डंक मारना।				 | 
			
			
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					डसवाना					 :
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					स०=डसाना।				 | 
			
			
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					डसा					 :
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					पुं० [सं० दंश] डाढ़। चौभड।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					डसाना					 :
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					स० [हिं० डसना का प्रे०] किसी को डसनें में प्रवृत्त करना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स० [हिं० डासना] बिछौना बिछाना। उदाहरण–-जागे पुनि न डसैहौ।–तुलसी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					डसी					 :
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					स्त्री० [?] १. पहचान कराने के लिए रखी या दी जानेवाली चीज। निशानी। २. याद कराने के लिए दी जानेवाली चीज। निशानी। स्त्री० दे० ‘दसी’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					डस्टर					 :
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					पुं० [अं०] कुरसी, मेज, दरवाजों आदि की धूल झाड़ने का कपड़ा। झाड़न।				 | 
			
			
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