शब्द का अर्थ
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					टुकड़ा					 :
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					पुं० [सं० द्विक+ड़ा (प्रत्य०)] [स्त्री० अल्पा० दुकड़ी] १. एक में या एक साथ लगी हुई दो चीजों का जोड़ा। युग्म। जैसे—धोतियों का दुकड़ा, मोतियों की टुकड़ी। २. एक पैसे का चौथाई भाग।				 | 
			 
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					टुकड़ा					 :
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					पुं० [सं० त्रोटक या स्तोक] [स्त्री० अल्पा० टुकड़ी] १. किसी वस्तु का वह छोटा अंश या भाग जो मूल वस्तु से कट, कट या टूटकर अलग हो गया हो। जैसे–(क) कपड़े या कागज का टुकड़ा। (ख) बादल का टुकड़ा। (ग) ईंट या पत्थर का टुकड़ा। मुहावरा–(किसी चीज के) टुकड़े उड़ाना=किसी चीज को इस प्रकार काटना, तोड़ना या फोड़ना कि उसके बहुत से छोटे-छोटे टुकड़े हो जाएँ। २. रोटी आदि में से काट या तोड़कर निकाला हुआ अंश या भाग। मुहावरा–टुकड़ा या टुकड़े माँगना=घर-घर घूमकर भिक्षा के रूप में रोटी का टुकड़ा माँगना। टुकड़ा=तोड़ या टुकड़ा सा जबाव देना-बहुत ही रूखाई से इन्कार करना या साफ जबाव देना। (किसी के) टुकड़े तोड़ना= बहुत ही दीन बनकर किसी के दिये हुए रूखे-सूखे भोजन से निर्वाह करना। दीन रूप में आश्रित बनकर दिन बिताना या रहना। (किसी के) टुकड़ों पर पडऩा या पलना=(किसी के) टुकड़े तोड़ना। ३. जमीन का वह अंश जो मूल से नदी, पहाड़, मेंड़ आदि बीच में पड़ने या बनने के कारण अलग हो गया हो। जैसे–खेत के इस टुकडे में खरबूज और उस टुकडे में तरबूज बोया गया है। ४. किसी कृति या रचना का कोई विशिष्ट अंश, खंड या भाग। जैसे–कविता गीत या शेर का टुकड़ा।				 | 
			 
			
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