शब्द का अर्थ
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					जवाँ					 :
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					वि० [फा] जवान का संक्षिप्त रूप जो उसे यौगिक पदों के आरंभ में प्राप्त होता है। जैसे–जवाँमर्द।				 | 
			
			
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					जवा					 :
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					स्त्री० [सं०√जु (प्राप्त होना)+अच्-टाप्] अड़हुल। जपा। पुं० [सं० यव] १.जौ के आकार का दाना। २. लहसुन का दाना। ३. एक प्रकार की सिलाई।				 | 
			
			
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					जवा-कुसुम					 :
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					पुं० [मध्य० स०] अड़हुल का फूल।				 | 
			
			
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					जवाइन					 :
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					स्त्री०=अजवायन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					जवाई					 :
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					स्त्री० [हिं० जाना] १. जाने की क्रिया या भाव। गमन। २. वह धन जो किसी को कहीं जाने पर उपहार या पारिश्रमिक के रूप में दिया जाय। पुं०=जँवाई (दामाद)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					जवाखार					 :
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					पुं० [सं० यवक्षार] वैद्यक में जौ के क्षार से बनाया जानेवाला एक प्रकार का नमक।				 | 
			
			
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					जवाड़ी					 :
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					स्त्री० [हिं० जौ+आड़ी (प्रत्य०)] गेहूँ में मिले हुए जौ के दाने।				 | 
			
			
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					जवादानी					 :
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					स्त्री० [हिं० जौ+दानी] गले में पहनने का एक प्रकार का आभूषण। चंपाकली।				 | 
			
			
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					जवादि					 :
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					पुं० [अ० जब्बाद, जबाद] कस्तूरी की तरह का एक प्रकार का सुगंधित द्र्व्य जो गंध-मार्जार की नाभि में से निकलता है।				 | 
			
			
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					जवाधिक					 :
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					पुं० [सं० जव-अधिक, ब० स०] बहुत तेज चलनेवाला घोड़ा।				 | 
			
			
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					जवान					 :
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					वि० [फा०] [भाव० जवानी] १. युवा। तरुण। २. (व्यक्ति) जो तरुण अवस्था प्राप्त कर चुका हो। बचपन और प्रौढ़ता के बीच की अवस्था वाला। ३. वीर। पद–जवान				 | 
			
			
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					जवानी					 :
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					स्त्री० [फा०] जवान होने की अवस्था या भाव। तरुणाई। यौवन। क्रि० प्र०–आना।–उतरना।–चढ़ना।–ढलना। पद–उठती या चढ़ती जवानी=वह अवस्था जिसमें किसी का यौवनकाल आरंभ हो रहा हो। मुहावरा–उतरती या ढलती जवानी=यौवन काल समाप्त होने का समय। स्त्री० [सं०] अजवायन।				 | 
			
			
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					जवाब					 :
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					पुं० [अ०] [वि० जवाबी] १. वह बात जो किसी के प्रश्न, अभियोग, तर्क आदि के संबंध में उसके समाधान के लिए कही जाय। उत्तर। जैसे–पत्र का जबाब दिया गया है। मुहावरा–जवाब तलब करना=अधिकारपूर्वक किसी से उसके अनुचित या अवैधानिक आचरण या व्यवहार का कारण पूछना। २. ऐसा कार्य जो बदला चुकाने के लिए किया जाय। जैसे–उन्होंने थप्पड़ का जवाब मुक्के से या ईँट का जवाब पत्थर से दिया है। ३. किसी वस्तु के जोड़ की कोई दूसरी वस्तु। जैसे–(क) ताजमहल का जवाब देनेवाली रचना संसार में नहीं है। (ख) वह ऐसा लुच्चा है जिसका जवाब नहीं। (ग) यह कंगूरा उस कंगूरे का जवाब है। ४. नहिक या नकारात्मक आदेश या उत्तर। जैसे–उन्हें नौकरी से जवाब मिल गया है।				 | 
			
			
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					जवाब सवाल					 :
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					पुं० [अ० जवाब+सवाल] १. किसी द्वारा पूछे जानेवाले प्रश्नों का दिया जानेवाला उत्तर। प्रश्न और उत्तर। २. वाद-विवाद।				 | 
			
			
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					जवाबदारी					 :
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					स्त्री०=जवाबदेही।				 | 
			
			
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					जवाबदावा					 :
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					पुं० [अ०] वह लिखित पत्र जो वादी के अभियोग या कथन के उत्तर में प्रतिवादी की ओर से न्यायालय में उपस्थित किया जाता है।				 | 
			
			
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					जवाबदेह					 :
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					वि० [फा०] (व्यक्ति) जिस पर किसी कार्य का पूरा उत्तरदायित्व हो। दायी।				 | 
			
			
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					जवाबदेही					 :
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					स्त्री० [फा०] जवाबदेह होने की अवस्था या भाव। उत्तरदायित्व।				 | 
			
			
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					जवाबी					 :
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					वि० [फा० जवाब] १. जवाब संबंधी। २. जिसका जवाब दिया जाने को हो। ३. जो किसी के जवाब के रूप में हो। जैसे–जवाबी कंगूरा।				 | 
			
			
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					जवाँमर्द					 :
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					पुं० [फा०] [भाव० जवाँमर्दी] १. नौजवान आदमी। २. वीर पुरुष। बहादुर।				 | 
			
			
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					जवाँमर्दी					 :
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					स्त्री० [फा०] १. जवान अर्थात् युवा होने की अवस्था या भाव। वीरता।				 | 
			
			
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					जवार					 :
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					पुं० [अ०] १. आस-पास का स्थान। २. पड़ोस ३. मार्ग। रास्ता। पुं०=जवाल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=ज्वार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					जवारा					 :
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					पुं० [हिं० जौ] १. जौ के नये निकले हुए अंकुर। २. नवरात्र की नवमी को होनेवाला एक उत्सव जिसमें लोग दल बाँधकर जौ के अंकुर प्रवाह करने के लिए निकलते हैं।				 | 
			
			
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					जवारी					 :
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					स्त्री० [हिं० जव] १. एक प्रकार की माला जिसमें जौ, छुहारे तालमखाने के बीज आदि गूँधे जाते हैं। २. ऊन या रेशम का वह धागा जो तंबूरे के तार के नीचे उस अंश पर लपेटा जाता है जो घोड़ी पर रहता है। पद–जवारीदार गला=संगीत में ऐसा गला जिससे गाने के समय उसी के साथ कंप या छाया के रूप में उस स्वर की बहुत महीन या हलकी रेखा भी सुनाई पड़ती है। ३. जवारा।				 | 
			
			
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					जवाल					 :
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					पुं० [अ० ज़वाल] १. अवनति। उतार। ह्रास। २. आफत। झंझट। मुहावरा–जवाल में डालना=संकट में फँसाना। जवाल में पड़ना=आफत या संकट में पड़ना।				 | 
			
			
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					जवाशीर					 :
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					पुं० [फा० गावशीर] एक प्रकार का गंधा बिरोजा।				 | 
			
			
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					जवास					 :
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					(ा) पुं० [सं० यवासक, प्रा० यवासअ] एक प्रकार का कँटीला क्षुप जिसके कई अंग औषध के रूप में काम आते हैं।				 | 
			
			
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					जवाह					 :
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					पुं० [?] प्रवाल नामक रोग।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					जवाहड़					 :
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					स्त्री० [हिं० जवा-दाना+हड़] एक प्रकार की छोटी हड़।				 | 
			
			
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					जवाहर					 :
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					स्त्री० [अ० जौहर का बहु० रूप] रत्न। मणि।				 | 
			
			
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					जवाहर खाना					 :
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					पुं० [अ० जवाहर+फा० खानः] वह स्थान जहाँ पर जवाहर अर्थात् रत्न आदि रखे जाएँ।				 | 
			
			
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					जवाहरात					 :
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					पुं० [अ० जवाहर का बहुवचन रूप] अनेक प्रकार की मणियों या रत्नों का संग्रह या समूह।				 | 
			
			
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					जवाहिर					 :
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					पुं०=जवाहर।				 | 
			
			
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					जवाहिरात					 :
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					पुं०=जवाहरात।				 | 
			
			
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					जवाही					 :
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					वि० [हिं० जवाह] जवाह अर्थात् प्रवाल रोग से पीड़ित।				 | 
			
			
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