शब्द का अर्थ
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जरद :
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वि० [फा० जर्द] पीले रंग का। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जरद, अंछी :
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स्त्री० [हिं० जरद+अंछी] काली अंछी की तरह का एक झाड़ी। |
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जरदक :
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पुं० [फा० जर्दक] जरदा या पीलू नाम का पक्षी। |
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जरदा :
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पुं० [फा० जरदः] १. विशेष प्रकार से पकाये हुए मीठे पीले चावल। २. पान के साथ खाने के लिए विशेष प्रकार से बनाई हुई मसालेदार सुगधित सुरती जो प्रायः पीले रंग की और कभी-कभी काले या लाल रंग की भी होती है। ३. पीले रंग का घोड़ा। पुं० [सं० जरदक] एक प्रकार का पक्षी जिसकी कनपटी तथा पैर पीले होते हैं। पीलू। |
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जरदालू :
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पुं० [फा० जरद+आलू] खूबानी। |
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जरदिष्ट :
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वि० [सं०] १. वृद्ध। २. बुड्ढा। दीर्घ-जीवी। स्त्री० १. बुढ़ापा। २. दीर्घजीवन। |
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जरदी :
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स्त्री० [फा०] १. जरद अर्थात् पीले होने की अवस्था, गुण या भाव। मुहावरा–(किसी पर) जरदी छाना=रोग आदि के कारण किसी के शरीर का पीला रंग पड़ना। २. अंडे में से निकलनेवाला पीला अंश। |
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जरदुश्त :
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पुं० [फा० मि० सं० जरदिष्ट=दीर्घजीवी, वृद्ध] फारस का एक प्रसिद्ध विद्वान जिसका जन्म ईसा से छः सौ वर्ष पूर्व हुआ था। |
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जरदोज :
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पुं० [फा० जरदोज] [भाव० जरदोजी] वह व्यक्ति जो सोने, चाँदी की तारों से कपड़ों पर बेल-बूटे बनाता हो। जरदोजी का काम करनेवाला। |
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जरदोज़ी :
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स्त्री० [फा० ज़रदोजी] १. सोने, चाँदी आदि के तारों से वस्त्रों आदि पर बेल-बूटे बनाने का काम। २. उक्त प्रकार का बना हुआ काम। वि० (कपड़ा) जिस पर उक्त प्रकार का काम बना हो। |
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जरद्गव :
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पुं० [सं० जरत्-गो, कर्म० स० टच्] १. बुड्ढ़ा बैल। २. बृहत्सहिता के अनुसार एक वीथी जिसमें विशाखा और अनुराधा नक्षत्र हैं। |
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जरद्विष :
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पुं० [सं०] जल। |
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