शब्द का अर्थ
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					जटा					 :
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					स्त्री० [√जट् (परस्पर संलग्न होना)+अच्-अन] १.सिर के लंबे तथा आपस में गुथे और लिपटे हुए बालों की ऐसी लट जो कभी चिकनाई या सुलझाई न गई हो। जैसे–ऋषि मुनियों या साधुओं की जटा। २. बालों जैसी किसी वस्तु का चिपका हुआ रूप। जैसे–नारियल की जटा। ३. पेड़-पौधों की जड़ों के आपस में गुथे हुए पतले-पतले रेशों या सूतों का समूह। झकरा। ४. जटामासी। ५. जूट। पाट। ६. केवाँच। ७. वेद-पाठ का एक प्रकार जिसमें मंत्र के दो या तीन पदों को क्रमानुसार पूर्व और उत्तरपद पहले पृथक् पृथक् और फिर मिलाकर दो बार पढ़े जाते हैं। ८. शतावर। ९. बालछड़।				 | 
			
			
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					जटा-चीर					 :
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					पुं० [ब० स०] शिव।				 | 
			
			
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					जटा-जूट					 :
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					पुं० [ष० त०] जटा को लपेटकर बनाया जानेवाला जूड़ा।				 | 
			
			
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					जटा-ज्वाल					 :
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					पुं० [ब० स०] दीया।				 | 
			
			
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					जटा-टंक					 :
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					पुं० [ब० स०] शिव।				 | 
			
			
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					जटा-धर					 :
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					वि० [ष० त०]=जटाधारी।				 | 
			
			
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					जटा-धारी(रिन्)					 :
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					वि० [सं० जटा√ धृ (रखना)+णिनि] जिसके सिर पर जटा हो। पुं० १. शिव। २. ऐसा साधु जिसके सिर पर जटा हो। ३. मरसे की जाति का एक पौधा।				 | 
			
			
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					जटा-पटल					 :
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					पुं० [ब० स०] वेदपाठ का एक जटिल क्रम।				 | 
			
			
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					जटा-माली(लिन्)					 :
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					पुं० [जटा-माला, ष० त०+इनि] शिव।				 | 
			
			
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					जटा-वल्ली					 :
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					स्त्री० [उपमि० स०] १. रुद्र जटा। शंकर जटा। २. गंधमासी नाम की वनस्पति।				 | 
			
			
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					जटाटीर					 :
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					पुं० [सं० जटा√अट् (प्राप्त होना)+ईरन्] शिव।				 | 
			
			
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					जटाना					 :
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					अ० [हिं० जटना] धोखे में आकर ठगा जाना।				 | 
			
			
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					जटामांसी					 :
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					स्त्री० [जटा√मन् (जानना)+स, दीर्घ, ङीष्] औषध के काम आनेवाली एक प्रकार की सुंगधित वनस्पति। बालछड़।				 | 
			
			
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					जटामासी					 :
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					स्त्री०=जटा-मांसी।				 | 
			
			
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					जटायु					 :
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					पुं० [सं० जटा√या (गति)+कु] एक प्रसिद्ध गिद्ध जिसने सीता को हरण करके ले जाते हुए रावण से युद्ध किया था और उसी के हाथों मारा गया था। यह सूर्य के सारथी अरुण का पुत्र था जो उसकी श्येनी नामक पत्नी के गर्भ से उत्पन्न हुआ था।				 | 
			
			
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					जटाल					 :
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					वि० [सं० जटा+लच्] जटा से युक्त। २. कचूर। ३. मुष्कक। मोरवा। ४. गुग्गुल।				 | 
			
			
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					जटाला					 :
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					स्त्री० [सं० जटाल+टाप्] जटामांसी।				 | 
			
			
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					जटाव					 :
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					स्त्री० [देश०] कुम्हारों की बोली में वह मिट्टी जिससे वे बरतन आदि बनाते हैं। पुं० [हिं० जटना] जटने या जटे जाने अर्थात् ठगने या ठगे जाने की क्रिया या भाव।				 | 
			
			
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					जटावती					 :
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					स्त्री० [सं० जटा+मतुप्, वत्व, ङीप्] जटामांसी।				 | 
			
			
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					जटासुर					 :
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					पुं० [जटा-असुर, मध्य० स०] १. एक प्रसिद्ध राक्षस जिसका वध भीम ने उस समय किया था जब वह ब्राह्मण वेश धारण करके द्रौपदी को हर कर ले जा रहा था। २. एक प्राचीन देश।				 | 
			
			
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