लोगों की राय

शब्द का अर्थ खोजें

शब्द का अर्थ

चाल  : स्त्री० [हिं० चलना या सं० चार] १. चलने की क्रिया या भाव। गति। २. वह अवस्था क्रिया जिसमें कोई जीव या पदार्थ किसी दिशा में अथवा किसी रेखा पर बराबर अपना स्थान बदलता हुआ क्रमशः आगे बढ़ता रहता है। चलने, दौड़ने आदि के समय निरंतर आगे बढ़ते रहने की अवस्था, क्रिया या भाव। जैसे–चलते या दौड़ते आदमी की चाल,डाक या सवारी गाड़ी की चाल। ३. पैर उठाने और रखने के ढंग के विचार से किसी के आगे बढ़ते रहने का प्रकार, मुद्रा या रूप। जैसे–(क) खरीदने से पहले घोड़े की चाल देखी जाती है। (ख) वह झूमती (लडखड़ाती) हुई चाल से चला आ रहा था। ४. गति में लगने वाले समय के विचार से, चलने की क्रिया या भाव। जैसे–कछुए या च्यूँटी की चाल। ५. किसी आदमी या चीज के चलते रहने की दशा में उसकी गति-विधि आदि की सूचक ध्वनि या शब्द। आहट। मुहा–(किसी की) चाल मिलना=किसी के गतिमान होने, चलने-फिरने आदि की आहट, ध्वनि या शब्द सुनाई पड़ना। जैसे–(क) आज तो पिछवाड़े वाले मकान में कुछ आदमियों की चाल मिल रही है; अर्थात ऐसा जान पड़ता है कि उसमें कुछ लोग आकर ठहरे हैं। (ख) सन्ध्या हो जाने पर जंगल में पशु-पक्षियों की चाल नहीं मिलती। ६. बहुत से आदमियों या जीवों के चलने-फिरने के कारण होनेवाली चहल-पहल, धूम-धाम, हलचल या हो-हल्ला। जैसे– कूच की आज्ञा मिलते (या नगाड़ा बजते) ही सारी छावनी में चाल पड़ गई। क्रि० प्र०–पड़ना। ७. फलित ज्योतिष के अनुसार अथवा और किसी प्रकार के सुभीते के विचार से कहीं से चलने या प्रस्थान करने के लिए स्थिर किया हुआ दिन, मुहूर्त या समय। चाला। उदा०-पोथी काढ़ि गवन दिन देखें, कौन दिवस है चाला।–जायसी। ८. किसी पदार्थ (जैसे–यंत्र आदि) अथवा उसके किसी अंग की वह अवस्था जिसमें वह बराबर इधर-उधर आता-जाता, घूमता या हिलता-डोलता रहता है। जैसे–इंजन के पुरजों की चाल; घड़ी के लंगर की चाल। ९. तत्परता, वेग आदि के विचार से किसी काम या बात के होते रहने की अवस्था या गति। जैसे–(क) आज-कल कार्यालय(या ग्रंथ-सम्पादन) का काम बहुत धीमी चाल से हो रहा है।(ख) इमारत (या नहर) के काम की चाल अब तेज होनी चाहिए। १॰.किसी चीज की बनावट, रचना, रूप आदि का ढंग या प्रकार। ढंग। तर्ज। जैसे–नई चाल का कुरता या टोपी; नई चाल की थाली या लोटा। ११. कोई काम करने का ढंग, प्रकार या युक्ति। जैसे–अब उसे किसी और चाल से समझाना पड़ेगा। १२. ऐसा ढंग, तरकीब या युक्ति जिसमें कुछ विशिष्ट भी मिला हो। विशिष्ट प्रकार का उपाय। तरकीब। जैसे–अब तो किसी चाल से यहाँ से अपना छुटकारा कराना चाहिए। १३. किसी को धोखा देने या बहकाने के लिए की जाने वाली चालाकी से भरी तरकीब या युक्ति। जैसे–हम तुम्हारी चाल समझते हैं। मुहा०-(किसी से)चाल चलाना=किसी को धोखा देने या भ्रम में रखने की तरकीब या युक्ति करना। जैसे–तुम कहीं चाल चलने से बाज नहीं आते। (किसी की) चाल मे फँसना=किसी के धोखे या बहकावे में आना। जैसे–वह सीधा आदमी तुम्हारी चाल में आ गया। पद– चाल-बाज, चालबाजी। (देखें स्वतंत्र पद)। १४. किसी काम, चीज या बात के चलनसार या प्रचलित रहने की अवस्था या भाव। जैसे–आज-कल इस तरह के गहनों (या साडियों) की चाल नहीं है। १५. नैतिक दृष्टि से आचरण, व्यवहार आदि करने का ढंग, प्रकार या स्वरूप। जैसे–(क) तुम अपने लड़के की चाल सुधारो। (ख) यदि तुम्हारी यही चाल रही तो तुम्हारा कहीं ठिकाना न लगेगा। पद–चाल-चलन, चाल-ढाल। (देखें स्वतंत्र पद) १६. चौसर, ताश, शतरंज आदि खेलों में अपना दाँव या बारी आने पर गोटी, पत्ता, मोहरा आदि आगे बढाने या सामने लाने की क्रिया। जैसे–(क) हमारी चाल हो चुकी; अब तुम्हारी चाल है।(ख) तुम्हारी इस चाल ने सारी बाजी का रुख पलट दिया। १७. मुद्रणकला में, छापने के लिए यथा-स्थान बैठाये हुए अक्षरों के संबंध में वह स्थिति, जब बीच में कोई नया पद, वाक्य या शब्द घटाये-बढ़ाये जाने के कारण कुछ अक्षरों या शब्दो के आगे पीछे खिसकाने या हटाने-बढ़ाने की आवश्यकता होती है। १८. यंत्रों के पुरजों के संबंध में, वह स्थिति जिसमें वे किसी त्रुटि या दोष के कारण कुछ आगे-पीछे या इधर-उधर हट-बढकर चलते हैं और इसीलिए या तो कुछ खड़-खड़ करते या यंत्र के ठीक तरह से चलने में बाधक होते हैं। जैसे–इस आगे वाले चक्कर (या पहिये) में कुछ चाल आ गई है। स्त्री० [हिं० चालना=छानना] छलनी आदि में रखकर कोई चीज चालने या छानने की क्रिया, ढंग या भाव। पुं० [सं० चल् (चलना)+ण;; णिच्+अच् वा] १. घर के ऊपर का छप्पर या छाजन। २. छत। पाटन। ३. स्वर्णचूड़ पक्षी। ४. आज-कल बड़े नगरों में वह बहुत बडा मकान जो गरीबों अथवा साधारण स्थिति के लोगों को किराये पर देने के लिए बनता है। जैसे– बम्बई में उसने सारी उमर एक ही चाल में रहकर बिता दी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चाल-चलन  : पुं० [हिं० चाल+चलन] नैतिक दृष्टि से देखा जाने वाला आचरण या व्यवहार। चरित्र। मनुष्य के आचरण और व्यवहार करने का ढंग जिसका मूल्यांकन नैतिक दृष्टि से किया जाता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चाल-ढाल  : स्त्री० [हिं० चाल+ढाल] १. किसी व्यक्ति के चलने-फिरने का ढंग या मुद्रा। रंग-ढंग। २. किसी व्यक्ति का ऊपरी आचरण और व्यवहार। ३. किसी चीज की बनावट या रचना का ढंग या प्रकार। ४. चाल-चलन।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चालक  : वि० [सं०√चल् (चलना)+ण; णिच्+ण्वुल्-अक] [स्त्री० चालिका] १. चलानेवाला। जो चलाता हो। २. चलने के लिए प्रेरित करनेवाला। जैसे–चालक शक्ति। ३. चालबाज। धूर्त्त। उदा०-घर घालक, चालक, कलहप्रिय कहियतु परम परमारथी।–तुलसी। पुं० १. वह व्यक्ति जो यानों, इंजनों आदि को गतिमान करता हो। २. संवाहक (दे०)। ३. वह हाथी जो अंकुश का दबाव या नियंत्रण न माने। उद्दंड और नटखट हाथी। ४. नृत्य में भाव बताने और सुंदरता लाने के लिए हाथ मिलाने की क्रिया।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चालकुंड  : पुं० [सं०] चिल्का नाम की झील जो उड़ीसा में है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चालणी  : स्त्री०=चलनी (छलनी)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चालन  : पुं० [सं०√चल् (चलना)+णिच्+ल्युट्+अन] १. चलाने की क्रिया या भाव। परिचालन। २. चलने की क्रिया या भाव। गति। ३. चलनी। छाननी। पुं० [हिं० चालना] १. भूसी या चोकर जो आटा चालने के बाद बच रहता है। २. बड़ी चलनी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चालनहार  : वि० [हिं० चलना+हार (प्रत्य०)] १. चलानेवाला। २. ले जाने या ले चलनेवाला। वि० [हिं० चलना] चलनेवाला।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चालना  : स० [सं चालन] १. किसी को चलने में प्रवृत्त करना। चलाना। २. हिलाना-डुलाना। ३. एक जगह से दूसरी जगह ले जाना। ४. बहू को उसके मैके से बिदा कराके लाना। उदा०-पाखहू न बीत्यो चालि आयो हमें पीहर तें।–शिवराम। ५. कार्य या उसके भार का निर्वाह या वहन करना। परिचालन करना। उदा०-चालत सब राज-काज आयसु अनुभरत।–तुलसी। ६. चर्चा या प्रसंग उठाना। ७. आटे को छलनी में रखकर इधर-उधर हिलाना जिसमें महीन आटा नीचे गिर जाय और भूसी या चोकर छलनी में ऊपर रह जाय। छानना। ८. बहुत-सी चीजों में से छाँटकर कोई अच्छी चीज अलग करना या निकलना।उदा०–जाति, वर्ण, संस्कृति समाज से मूल व्यक्ति को फिर से चालो।–पंत। अ०=चलना। पद-चालन हार। (देखें) पुं० [स्त्री०=चालनी] चलना (बड़ी चलनी)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चालनीय  : वि० [सं०√चल् (चलना)+णिच्+अनीयर्] चलाये या हिलाये जाने के योग्य। जो चलाया या हिलाया-डुलाया जा सके।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चालबाज  : वि० [हिं० चाल+फा० बाज] [भाव० चालबाजी] स्वार्थ साधन के लिए व्यवहार आदि में कपट या छल से भरी हुई चालें चलनेवाला। धूर्त्तता से अपना काम निकाल लेने वाला।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चालबाजी  : स्त्री० [हिं० चालबाज] १. चालबाज होने की अवस्था या भाव। २. व्यवहार आदि में छल-पूर्ण चालें चलने की क्रिया या भाव। चालाकी। छल। धोखेबाजी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चाला  : पुं० [हिं० चाल] १. चलने या प्रस्थान करने की क्रिया या भाव। २. दुल्हिन का पहली बार अपने मायके से ससुराल अथवा ससुराल से मायके जाने की क्रिया। उदा०–चाले की बातें चलीं सुनत सखिन के टोला।–बिहारी। ३. वह दिन या समय जो किसी दिशा में रवाना होने के लिए शुभ समझा जाता है। जैसे–रविवार को पश्चिम का चाला नहीं है बल्कि सोमवार को है। ४. एक प्रकार का औपचारिक कृत्य जो मृतक की षोडशी आदि हो जाने पर रात के समय किया जाता है। ५. दे० ‘चलौआ’।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चालाक  : वि० [फा०] [भाव० चालाकी] १. कौशलपूर्ण ढंग से कोई काम करनेवाला। होशियार। २. व्यवहार-कुशल। सूझ-बूझ वाला। समझदार। ३. चालबाज। धूर्त्त।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चालाकी  : [फा०] १. चालाक होने की अवस्था या भाव। चतुराई। व्यवहार-कुशलता। दक्षता। २. चालबाजी। धूर्त्तता। मुहा०–चालाकी खेलना=धूर्त्तता-पूर्ण चाल चलना। ३. कौशल या होशियारी से मिली हुई युक्ति।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चालान  : पुं० चलान (देखें)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चालानदार  : पुं०=चलानदार।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चालिया  : पुं० [हिं० चाल+इया (प्रत्यय)] धूर्त्तता-पूर्ण चालें चलनेवाला। चालबाज।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चालिस  : वि० चालीस।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चाली  : वि० [हिं० चाल] १. चालबाज। २. नटखट। पाजी। ३. चंचल। पुं० [?] केंचुआ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० [हिं० चालछाजन] १.नाव के ऊपर का छप्पर या छाजन। २. घोड़े की जीन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं० [हिं० चलाना] व्यक्तियों का वह दल जो अपने काम से अलग कर दिया या हटा दिया गया हो।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चालीस  : वि० [सं० चत्वारिशत्, पा० चत्तालीस] जो गिनती में तीस से दस अधिक हो। जैसे–चालीस दिन। पुं० उक्त की सूचक संख्या या अंक जो इस प्रकार लिखा जाता है– ४॰ ।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चालीस-सेरा  : वि० [हिं० चालीस+सेर] १. (घी) विशुद्ध या अमिश्रित। २. निरा मूर्ख। (व्यक्ति)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चालीसवाँ  : वि० [हिं० चालीस] गिनती में जिसका स्थान उनतालीसवें के बाद पड़ता हो। जो क्रम में ४॰ के अंक या संख्या पर पड़ता हो। पुं० मुसलमानों का एक कृत्य जो किसी के मर जाने के चालीसवें दिन किया जाता है। चहलुम।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चालीसा  : पुं० [हिं० चालीस] [स्त्री० चालीसी] १.चालीस वस्तुओं का समूह। जैसे–चालीसा चूरन (जिसमें चालीस चीजें पड़ती है) २. चालीस पदों का संकलन या समूह। जैसे–हनुमान चालीसा। ३. चालीस दिनों का समय। चिल्ला। ४. मृत्यु के चालीसवें दिन होनेवाला कृत्य। चालीसवाँ। (मुसल०)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चालुक्य  : पुं० [?] दक्षिण भारत का एक प्रसिद्ध प्रतापी राजवंश जिसने ईसवी ५ वीं शताब्दी से ईसवी १२ वीं शताब्दी तक राज्य किया था।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चालू  : वि० [हिं० चलना] १. जो चल रहा हो। जो ठीक प्रकार से काम कर रहा हो। जैसे–चालू घड़ी। २. जो चलन या रिवाज में हो। प्रचलित। जैसे–चालू प्रथा, चालू सिक्का। ३. जो प्रयोग या कार्य के रूप में लाया जा रहा हो। ४. चलता हुआ। चालाक। जैसे–चालू आदमी। पुं० चाला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चाल्य  : वि० [सं०√चल् (चलना)+णिच्+यत्] जो चलाया जा सके। चालनीय।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चाल्ह  : स्त्री० चेल्हा (मछली)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चाल्ही  : स्त्री [हिं० चलाना] नाव में वह स्थान जहाँ मल्लाह बैठकर नाव खेता या चलाता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
लौटें            मुख पृष्ठ