शब्द का अर्थ
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					चारक					 :
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					पुं० [सं०√चर्+णिच्+ण्वुल्-अक। चार+कन्। चर्+णिच्+ण्वुल्-अक (अर्थानुसार ज्ञातव्य) १.चलाने या संचार करानेवाला। संचारक। २. गति। चाल। ३. गाय-भैंस चराने वाला। चरवाहा। ४. चिरौंजी। पियाल। ५. गुप्त-चर। जासूस। ६. सहचर। साथी। ७. घुड़सवार। ८. वह ब्रह्मचारी या ब्राह्मण जो बराबर इधर-उधर घूमता फिरता रहे। ९. आदमी। मनुष्य। १॰. चरक ऋषि का ग्रंथ या सिद्धान्त। ११. वह कारागार जिसमें अभियुक्त तब तक रखा जाता है, जब तक उसके अभियोग का निर्णय न हो जाय। हवालात।				 | 
			
			
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					चारकाने					 :
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					पुं० बहु० [हि० चार+काना=मात्रा] चौसर या पासे का एक दाँव।				 | 
			
			
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