शब्द का अर्थ
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चकार :
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पुं० [सं० च+कार] १. वर्णमाला में छठा व्यंजन वर्ण जो च है। २. मुँह से निकलने वाला किसी प्रकार का शब्द। जैसे–उसके मुँह से चकार तक न निकला। पुं० [हिं० चोर का अनु०] चोर या उचक्का। जैसे–चाई-चकार चोर और नटखट चोरे बदे।-तेगअली। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
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