शब्द का अर्थ
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					चंदन					 :
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					पुं० [सं०√चंद्+णिच्+ल्युट-अन] १. दक्षिण भारत में उगनेवाला एक प्रसिद्ध पेड़ जिसके हीर की लकड़ी बहुत सुगंधित होती है। गंधसार। मलयज। श्रीखंड। २. उक्त वृक्ष की लकडी। ३. उक्त लकड़ी को जल में घिस या रगड़कर बनाया हुआ गाढ़ा घोल या लेप जिसका टीका आदि लगाय़ा जाता है। मुहावरा–चंदन उतारना=पानी के साथ चंदन की लकड़ी को घिसना जिसमें उसका अंश पानी में घुल जाय। चंदन चढ़ाना-किसी चीज पर घिसे हुए चंदन का लेप करना। ४. गंध-प्रसारिणी लता। ५. छप्पय छंद के तेरहवें भेद का नाम। ६. एक प्रकार का बड़ा तोता जो उत्तरीय भारत, मध्य० भारत, हिमालय की तराई, काँगड़ा आदि में होता है। वि० १. बहुत ही शीतल और सुगंधित। २. उत्कृष्ट। उदाहरण–बंदन तेज त्यौं चंदन की रति।।-भूषण।				 | 
			
			
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					चंदन-गिरि					 :
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					पुं० [ष० त०] मलय पर्वत।				 | 
			
			
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					चंदन-गोह					 :
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					स्त्री० [हिं० चंदन+गोह] १. चंदन के पेड़ पर रहनेवाली एक प्रकार की गोह। २. छोटी गोह।				 | 
			
			
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					चंदन-धेनु					 :
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					स्त्री० [मध्य० स०] चंदन से लेपी हुई वह गौ जो सौभाग्यवती स्वर्गीया माता के उद्देश्य से (वृषोत्सर्ग की तरह) खुली छोड़ दी जाती है।				 | 
			
			
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					चंदन-पुष्प					 :
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					पुं० [ष० त०] १. चंदन का फूल। २. [ब० स०] लौंग। लवंग।				 | 
			
			
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					चंदन-यात्रा					 :
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					स्त्री० [ब० स०] वैशाख सुदी तीज। अक्षय तृतीया।				 | 
			
			
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					चंदन-सार					 :
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					पुं० [ष० त०] १. पानी के साथ घिसकर तैयार किया हुआ चंदन। २. [ब० स०] वज्रक्षार। ३. नौसादार।				 | 
			
			
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					चंदनवती					 :
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					वि० स्त्री० [सं० चंदन+मतुप्, वत्व, ङीष्] केरल देश की भूमि जहाँ चंदन के वृक्ष अधिकता से होते हैं।				 | 
			
			
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					चंदनहार					 :
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					पुं०=चंद्रहार।				 | 
			
			
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					चंदना					 :
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					स्त्री० [सं० चंदन+अच्-टाप्]=चंदन-शारिवा। स० [सं० चंदन] शरीर में चंदन पोतना या लगाना। पुं०=चंद्रमा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					चंदनादि					 :
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					पुं० [चंदन-आदि, ब० स०] वैद्यक में चंदन,खस,कपूर,बकुची इलायची आदि पित्तशामक दवाओं का एक वर्ग।				 | 
			
			
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					चंदनादि-तैल					 :
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					पुं० [ष० त०] वैद्यक में लाल-चंदन के योग से बननेवाला एक प्रसिद्ध तैल जो अनेक रोगों में शरीर पर मला जाता है।				 | 
			
			
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					चंदनी					 :
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					वि० [हिं० चंदन+ई (प्रत्यय)] १. चंदन संबंधी। चंदन का। २. जिसमें चंदन की सुगंध हो। ३. चंदन की लकड़ी के रंग का। कुछ लाली लिये हुए भूरा। स्त्री०[सं०चंदन+ङीष्] रामायण के अनुसार एक प्राचीन नदी। पुं.शिव। स्त्री०-चाँदनी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					चंदनीया					 :
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					स्त्री० [सं०√चंद्+अनीयर+टाप्] गोरोचन।				 | 
			
			
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					चँदनौटा					 :
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					पुं० [हिं० चंदन+औटा (प्रत्यय)] १. वह चकला जिस पर चंदन घिसा जाता है। २. एक प्रकार का लंहगा। उदाहरण–चंदननौटा खोरोदक फारी।-जायसी।				 | 
			
			
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					चँदनौता					 :
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					पुं०=चँदनौटा।				 | 
			
			
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