शब्द का अर्थ
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					घोष					 :
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					पुं० [सं०√घुष् (स्तुति आदि)+घञ्] १. अहीरों की बस्ती। आभीर-पल्ली। २. अहीर। ३. गोशाला। ४. छोटी बस्ती। गाँव। ५. बंगालियों की एक जाति। ६. शब्द। नाद। ७. जोर से की गई पुकार। घोर शब्द। गर्जन। ८.किसी विशेष दल, पक्ष या सिद्धान्त की वह पुकार या पद जो जन-साधारण को अपनी ओर आकृष्ट करने के लिए बनाया जाता है। नारा। (स्लोगान) ९. व्याकरण में शब्दों के उच्चारण में होनेवाला एक प्रकार का ब्राह्य प्रयत्न। ग, घ, ङ, ज, झ, ञ, ड, ढ, ण, द, ध, न, ब, भ, म, य, र, ल, व और ह का उच्चारण इसी प्रयत्न से होता है। १॰. ईशान कोण का एक प्राचीन देश। ११. ताल के ६॰ मुख्य भेदों में से एक। (संगीत)।				 | 
			
			
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					घोषक					 :
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					पुं० [सं०√घुष्+ण्वुल्-अक] घोषणा करनेवाला अधिकारी या कर्मचारी। वि० घोष करनेवाला।				 | 
			
			
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					घोषण					 :
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					पुं० [सं०√घुष्+ल्युट-अन] घोषणा करने की क्रिया या भाव।				 | 
			
			
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					घोषणा					 :
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					स्त्री० [सं०√घुष्+णिच्+युच्-अन,टाप्] १. जन-साधारण को सुनाकर जोर से कही जानेवाली बात। २. सार्वजनिक रूप से निकली हुई राजाज्ञा। (प्रोक्लेमेशन) ३. मुनादी। डुग्गी।				 | 
			
			
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					घोषणा-पत्र					 :
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					पुं० [ष० त०] १. वह पत्र जिस पर कोई राजाज्ञा लिखी हो। २. वह पत्र जिस पर कोई व्यक्ति किसी बात की सत्यता घोषित करता हो। (प्रोक्लेमेशन)				 | 
			
			
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					घोषलता					 :
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					स्त्री० [कर्म० स०] कड़ुई तोरई।				 | 
			
			
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					घोषवती					 :
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					स्त्री० [सं० घोषवत्+ङीष्]वीणा।				 | 
			
			
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					घोषवत्					 :
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					वि० [सं० घोष+मतुप्० व आदेश] (शब्द) जिसमें घोष प्रयत्न वाले अक्षर अधिक हो।				 | 
			
			
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					घोषा					 :
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					स्त्री० [सं० घोष] सौंफ।				 | 
			
			
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					घोषाल					 :
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					पुं० [सं० घोष] बंगाली ब्राह्मणों की एक जाति।				 | 
			
			
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