शब्द का अर्थ
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गुणा :
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पुं० [सं० गुणन] [वि० गुण्य, गुणित] गणित की वह क्रिया जो यह जानने के लिए की जाती है कि किसी अंक या संख्या को एक से अधिक बार जोड़ने पर फल कितना होता है। जरब। (मल्टीप्लिकेशन) जैसे–यदि यह जानना हो कि ८ को लगातार ५ बार जोड़ने से कितना होगा तो ८ से ५ का गुणा करना पड़ेगा। |
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गुणांक :
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पुं० [गुण-अंक, ष० त०] गणित में वह राशि या संख्या जिसमें किसी दूसरी राशि या संख्या (गुण्यक) को गुणा किया जाता है। |
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गुणाकर :
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वि० [गुण-आकर, ष० त०] जिसमें अनेक गुण हों। बहुत बड़ा गुणवान। गुणों की खान। |
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गुणाढ्य :
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वि० [गुण-आढ्य,तृ० त०] बहुत गुणोंवाला। गुण–पूर्ण। पुं० पैशाची भाषा के एक प्रसिद्ध प्राचीन कवि। |
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गुणातीत :
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वि० [गुण-अतीत,द्वि० त०] १. गुणों से अल्पित,परे और भिन्न। २. जिसका सत्त्व, रज आदि गुणों से कोई संबंध न हो और जो इन सब से परे हो। (परमात्मा या ब्रह्म का एक विशेषण। पुं० परमात्मा। ब्रह्म। |
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गुणानुवाद :
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पुं० [गुण-अनुवाद, ष० त०] किसी के अच्छे गुणों की चर्चा या वर्णन। गुण-कथन। तारीफ। प्रशंसा। |
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गुणान्वित :
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वि० [गुण-अन्वित,तृ० त०] गुणों से युक्त। |
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गुणालय :
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वि० [गुण-आलय, ष० त०] बहुत से गुणों वाला। गुणाकर। |
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